राज्य सरकार ने हसन जिले में हार्ट अटैक से हुई 20 से ज्यादा लोगों की मौत की जांच के लिए जयदेव हृदय विज्ञान और अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ. रविंद्रनाथ की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समिति गठित की थी.
Karnataka: कोविड के बाद हार्ट अटैक से मौत में वृद्धि को देखते हुए विशेषज्ञों ने बताया कि हार्ट अटैक और कोविड-19 के टीके के बीच कोई संबंध नहीं है. कर्नाटक में हार्ट अटैक से हुई मौत के हालिया मामलों की जांच करने वाली विशेषज्ञ समिति ने ये निष्कर्ष निकाला है कि किसी व्यक्ति में समय से पहले हुए हृदय रोग का कोविड-19 संक्रमण या कोविड टीकाकरण के बीच कोई संबंध नहीं है. पैनल द्वारा जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड-19 टीकाकरण दीर्घकालिक रूप से हार्ट अटैक की घटनाओं के खिलाफ सुरक्षात्मक साबित हुआ है.
समिति ने सरकार को दो जुलाई को सौंपी रिपोर्ट
राज्य सरकार ने हसन जिले में हार्ट अटैक से हुई 20 से ज्यादा लोगों की मौत की जांच के लिए जयदेव हृदय विज्ञान और अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ. रविंद्रनाथ की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समिति गठित की थी. सरकार को दो जुलाई को सौंपी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्तमान आंकड़ा इस बात का समर्थन नहीं करता है कि युवाओं के बीच अचानक हार्ट अटैक की घटनाओं में हुई वृद्धि के लिए लंबे समय तक हुआ कोविड जिम्मेदार है. इसमें कहा गया कि हृदय रोग के सामान्य जोखिम कारकों (जैसे उच्च रक्तचाप, मधुमेह, धूम्रपान और रक्त में वसा का असंतुलन) की बढ़ती संख्या ही अचानक हार्ट अटैक का कारण हो सकता है. समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि जब विशेषज्ञों ने जयदेव अस्पताल में अध्ययन किया तो यह पाया कि समय से पहले होने वाले हृदय रोग और कोविड-19 संक्रमण या कोविड टीकाकरण के बीच कोई संबंध नहीं है.
समिति ने सीएम के दावे को किया खारिज
रिपोर्ट में कहा गया कि दुनिया के बाकी हिस्सों में प्रकाशित ज़्यादातर अध्ययनों/रिपोर्ट में भी कोविड टीकाकरण और अचानक होने वाली हार्ट अटैक की घटनाओं के बीच कोई संबंध नहीं पाया गया है, बल्कि कोविड टीकाकरण को लंबे समय में हृदय संबंधी बीमारियों से सुरक्षा देने वाला पाया गया है. मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने दावा किया कि टीकों को जल्दबाजी में मंजूरी दी गई थी. हाल ही में मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने कहा था कि हासन जिले में हार्ट अटैक से हुई मौत कोविड टीकाकरण से जुड़ी हो सकती है. पैनल की रिपोर्ट के अनुसार, अचानक हार्ट अटैक से मौत के मामलों में बढ़ोतरी के पीछे कोई एक कारण नहीं है. बल्कि इसके कई सारे कारण हो सकते हैं, जिसमें व्यावहारिक, आनुवंशिक और पर्यावरणीय जोखिम शामिल है.
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