Mohan Bhagwat: संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा जब प्रधानमंत्री बोलते हैं तो दुनिया उन्हें ध्यान से सुनती है. उन्होंने भारत की बढ़ती वैश्विक ताकत और जरूरत पर बात की.
2 December, 2025
Mohan Bhagwat: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के 100 साल पूरे होने पर संघ प्रमुख मोहन भागवत सोमवार को पुणे में हुए एक कार्यक्रम में शामिल हुए. भागवत ने सुझाव दिया कि किसी को जुबली या शताब्दी जैसे माइलस्टोन मनाने का इंतजार नहीं करना चाहिए, बल्कि दिए गए काम को तय समय में पूरा करने का लक्ष्य रखना चाहिए. उन्होंने वहां मौजूद लोगों से कहा, “संघ ने चुनौतियों का सामना करते हुए और कई तूफानों का सामना करते हुए 100 साल पूरे किए हैं, लेकिन अब यह सोचने का समय है कि पूरे समाज को एक करने के काम में इतना समय क्यों लगा.”
पीएम मोदी की तारीफ की
ग्लोबल स्टेज पर भारत के बढ़ते कद पर रोशनी डालते हुए, भागवत ने कहा, जब प्रधानमंत्री बोलते हैं तो दुनिया इतने ध्यान से क्यों सुनती है? उन्हें इसलिए सुना जा रहा है क्योंकि भारत की ताकत अब उन जगहों पर दिखने लगी है जहां उसे सही मायने में दिखना चाहिए. RSS लीडर ने कहा कि आमतौर पर यह माना जाता है कि जब भारत आगे बढ़ता है, तो दुनिया की समस्याएं हल हो जाती हैं, झगड़े कम हो जाते हैं और शांति बनी रहती है. उन्होंने कहा, “यह इतिहास में दर्ज है और हमें इसे फिर से बनाना होगा. यह समय की जरूरत है. मौजूदा ग्लोबल हालात भारत से इसकी मांग करते हैं और इसीलिए संघ के वॉलंटियर पहले दिन से ही इस मिशन को पूरा करने के इरादे से काम कर रहे हैं.”

संघ के वॉलंटियर्स ने अपनी जिंदगी लगा दी
बता दें, RSS के फाउंडर डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने 1925 में नागपुर में हिंदुत्व संगठन शुरू किया था. संघ के शुरुआती महीनों और सालों का जिक्र करते हुए भागवत ने कहा कि उन्हें कोई पक्का यकीन नहीं था कि उनके काम से अच्छे नतीजे मिलेंगे. उन्होंने कहा, “संघ के वॉलंटियर्स ने अपनी जिंदगी लगाकर सफलता के बीज बोए और बदलाव का रास्ता बनाया.”
सामाजिक एकता की बात करता है संघ
एक किस्सा सुनाते हुए, RSS चीफ ने कहा कि एक बार उनसे कहा गया था कि संघ 30 साल देर से आया है. भागवत ने कहा, “मैंने जवाब दिया कि हम देर से नहीं आए. बल्कि, आपने हमें देर से सुनना शुरू किया.” उन्होंने कहा कि जब संघ बातचीत और मिलकर काम करने की ताकत की बात करता है, तो उसका मतलब पूरे समाज से होता है. हमारी नींव अलग-अलग तरह से एकता में है. हमें साथ चलना चाहिए और उसके लिए धर्म जरूरी है. भारत में, सभी सोच एक ही सोर्स से निकलती हैं. हमें तालमेल के साथ आगे बढ़ना चाहिए, क्योंकि सब कुछ आपस में जुड़ा हुआ है.
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