Home Education गुजरात के आणंद में खुलेगा देश का पहला सहकारी विश्वविद्यालय, अमित शाह 5 जुलाई को करेंगे शिलान्यास

गुजरात के आणंद में खुलेगा देश का पहला सहकारी विश्वविद्यालय, अमित शाह 5 जुलाई को करेंगे शिलान्यास

by Sanjay Kumar Srivastava
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Amit Shah

प्राथमिक कृषि ऋण समिति (PACS), डेयरी, मत्स्य, आदि जैसे सहकारी समितियों के करीब 20 लाख कर्मियों को प्रशिक्षित करेगी.

New Delhi: केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह शनिवार (5 जुलाई) को गुजरात के आणंद में देश के पहले राष्ट्रीय स्तर के सहकारी विश्वविद्यालय “त्रिभुवन” सहकारी यूनिवर्सिटी (TSU) का भूमि पूजन और शिलान्यास करेंगे. इस अवसर पर गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेन्द्रभाई पटेल और विधानसभा अध्यक्ष शंकर चौधरी की गरिमामयी उपस्थिति रहेगी. कार्यक्रम में केंद्रीय सहकारिता राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर और मुरलीधर, गुजरात सरकार के शिक्षा मंत्री ऋषिकेश पटेल और सहकारिता मंत्री जगदीश विश्वकर्मा, सहकारिता मंत्रालय के सचिव डॉ. आशीष कुमार भूटानी, TSU के कुलपति डॉ. जे. एम. व्यास सहित कई अन्य विशिष्ट अतिथि भी उपस्थित रहेंगे.

रोजगार को मिलेगा बढ़ावा

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व और केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह के मार्गदर्शन में सहकारी क्षेत्र में क्षमता निर्माण और ‘सहकार से समृद्धि’ की परिकल्पना को साकार करने की दिशा में “त्रिभुवन” सहकारी विश्वविद्यालय की स्थापना का निर्णय एक ऐतिहासिक और दूरदर्शी पहल है. यह विश्वविद्यालय सहकार, नवाचार और रोजगार की त्रिवेणी को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम सिद्ध होगा. केन्द्रीय सहकारिता मंत्री श्री शाह पर्यावरण संरक्षण और सांस्कृतिक मूल्यों की जिम्मेदारी का आभास दिलाते, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आवाहन पर जनआंदोलन बन चुके “एक पेड़ मां के नाम” अभियान के अंतर्गत पौधरोपण में भी भाग लेंगे. इसके अलावा श्री शाह स्कूली छात्रों को सहकारिता के सिद्धांतों और भारत में सहकारी आंदोलन के प्रभाव से परिचित कराने के लिये राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण केन्द्र (NCERT) द्वारा तैयार एक शैक्षणिक मॉड्यूल का भी अनावरण करेंगे.

20 लाख सहकारीकर्मी होंगे प्रशिक्षित

“त्रिभुवन” सहकारी यूनिवर्सिटी की स्थापना का उद्देश्य सहकारी क्षेत्र की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए पेशेवर और प्रशिक्षित श्रमबल तैयार करना है. यह यूनिवर्सिटी सहकारी प्रबंधन, वित्त, कानून और ग्रामीण विकास जैसे क्षेत्रों में विशेष शिक्षा, प्रशिक्षण और अनुसंधान के अवसर प्रदान करेगा. यह यूनिवर्सिटी नवाचार, क्षमता निर्माण और श्रेष्ठ कार्य-प्रणालियों को बढ़ावा देकर जमीनी स्तर पर सहकारी संस्थाओं को सशक्त और प्रशासन को बेहतर बनाने के साथ साथ समावेशी व सतत ग्रामीण आर्थिक विकास को गति देगी. यह यूनिवर्सिटी अपने परिसर और अन्य राज्यों में विषय-विशेष स्कूल स्थापित करेगी और सहकारी शिक्षा एवं प्रशिक्षण की गुणवत्ता को मानकीकृत करने के लिए एक राष्ट्रीय नेटवर्क तैयार करेगी. भारत के लगभग 40 लाख सहकारी कर्मियों और 80 लाख बोर्ड सदस्यों की कौशल विकास और क्षमता निर्माण की जरूरतों को पूरा करने के लिए यह यूनिवर्सिटी अगले पांच वर्षों में प्राथमिक कृषि ऋण समिति (PACS), डेयरी, मत्स्य, आदि जैसे सहकारी समितियों के करीब 20 लाख कर्मियों को प्रशिक्षित करेगी. इसके अलवा यह राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठित संस्थानों के साथ समन्वय करेगी ताकि विश्व की सर्वोत्तम प्रथाओं को भारत में स्थापित किया जा सके.

ये भी पढ़ेंः ऑपरेशन सिंदूर ‘स्वराज’ की रक्षा का सर्वोत्तम उदाहरण…’ अमित शाह बोले- देश की संप्रभुता सर्वोपरि

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