Israel-Iran Ceasefire : ईरान और इजरायल के बीच में युद्धविराम होने के बाद खामेनेई पहली बार सार्वजनिक हुए हैं. उन्होंने कहा कि अमेरिका इस युद्ध में इसलिए कूदा क्योंकि उसे जायनिस्टों को बचाना था.
Israel-Iran Ceasefire : ईरान और इजरायल के बीच में चले 12 दिनों के संघर्ष में दोनों देशों ने कई मिसाइल दागी. इस दौरान ईरान में कई लोगों की मौत हो गई लेकिन इजरायल को इतिहास में इतना बुरा झटका कभी नहीं दिया. ईरानी मीडिया ने दावा किया कि उसने तेल अवीव को काफी नुकसान पहुंचाया और जब वह हमारे डर गया तो अमेरिकी राष्ट्रपति को इस संघर्ष में घुसाने लग गया. इसी बीच ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई (Ayatollah Ali Khamenei) ने गुरुवार को कह दिया कि उनके देश ने कतर में अमेरिकी बेस पर हमला करके अमेरिका के मुंह पर तमाचा मारने का काम किया है. 19 जून के बाद पहली बार खामनेई एक टेलीविजन प्रसारण में नजर आए और इस दौरान वह पहले की तुलना में काफी थके हुए थे. उनकी आवाज में थोड़ा कर्कश था और शब्द भी लड़खड़ा रहे थे.
अमेरिकी हमले से काफी नुकसान पहुंचा
सुप्रीम लीडर ने 10 मिनट के इस भाषण में अमेरिका और इजरायल को खुली चेतावनी दी. उन्होंने रविवार को ईरान के तीन परमाणु स्थलों पर बंकर-बस्टर बम और क्रूज मिसाइलों का उपयोग करके किए गए अमेरिकी हमलों को कमतर आंकते हुए कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को पूरी तरह से नष्ट कर दिया, जबकि यह बयान बढ़ा-चढ़ाकर दिया गया है. उन्होंने कहा कि वह कुछ महत्वपूर्ण हासिल नहीं कर पाए हैं. हालांकि, अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के निदेशक राफेल ग्रॉसी ने गुरुवार को कहा कि ईरानी परमाणु सुविधाओं पर इजरायल और अमेरिकी हमलों से हुआ नुकसान बहुत अधिक है. उन्होंने बताया कि मुझे लगता है कि नुकसान बहुत हुआ है. वहीं, ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता इस्माइल बाघई ने बुधवार को यह भी माना कि हमारे परमाणु प्रतिष्ठानों को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचा है, यह पक्का है.
जायनिस्टों को बचाने के लिए मैदान कूदा USA
बता दें कि 13 जून को युद्ध शुरू होने के बाद खामेनेई को एक गुप्त स्थान पर भेज दिया गया और सार्वजनिक जगहों से बिल्कुल हटा दिया गया था. साथ ही जब इजरायल ने ईरानी परमाणु सुविधाओं पर हमला किया तो शीर्ष सैन्य कमांडरों और वैज्ञानिकों को निशाना बनाया. खामेनेई ने दावा किया कि अमेरिका ने युद्ध में इसलिए हस्तक्षेप किया था क्योंकि उसे लगा कि अगर उसने टांग नहीं अड़ाई तो जायोनी शासन पूरी तरह से खत्म हो जाएगा. उन्होंने बताया कि अमेरिका जानिस्टों को बचाने के लिए युद्ध के मैदान में उतरा था और उसे हासिल कुछ भी नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि सोमवार को कतर में अमेरिकी बेस पर उनके देश का हमला महत्वपूर्ण था, क्योंकि यह दर्शाता है कि ईरान के पास क्षेत्र में महत्वपूर्ण अमेरिकी केंद्रों तक पहुंच है और उनके खिलाफ कार्रवाई करने की क्षमता रखता है.
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