Mission Axiom-4: स्पेसएक्स के फाल्कन-9 रॉकेट में लिक्विड ऑक्सीजन (LOX) रिसाव, क्रू ड्रैगन मॉड्यूल में इलेक्ट्रिकल हार्नेस की खराबी, और इंजन एक्चुएटर में तकनीकी समस्याएं भी देरी का कारण बनीं.
Mission Axiom-4: भारतीय अंतरिक्षयात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु सुक्ला की मिशन एक्सिओम-4 के तहत अंतरिक्ष यात्रा में लगातार किसी न किसी कारण से देरी हो रही है. शुभांशु शुक्ला को भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष यात्रा करनी है. लेकिन ये यात्रा और भी ज्यादा ऐतिहासिक इसलिए भी है क्योंकि ये प्रथ्वी की कक्षा से बाहर मौजूद इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पर जाने वाले हैं. इस मिशन में चार सदस्य शामिल हैं. इस मिशन के लिए तय तारीख 29 मई से पहले ही काफी ज्यादा देर हो चुकी है. अलग-अलग वजहों से मिशन में लगातार देरी हो रही है. मिशन के लिए 22 जून आखिरी तय तारीख थी, लेकिन फिर इसे टाल दिया गया है. लेकिन अभी भी नासा ने ये साफ किया है कि अगली तारीख क्यों होगी?
क्यों हो रही है मिशन में देरी ?
एक्सिओम-4 मिशन में देरी के कई कारण सामने आए हैं जिनमें तकनीकी, पर्यावरणीय और सुरक्षा संबंधी मुद्दे शामिल हैं. सबसे प्रमुख कारण अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के रूसी ज़्वेज़्दा सर्विस मॉड्यूल में हवा के रिसाव की समस्या है, जिसके कारण नासा और रॉस्कॉस्मोस को मरम्मत कार्य और उसकी समीक्षा के लिए अतिरिक्त समय चाहिए. इसके अलावा, स्पेसएक्स के फाल्कन-9 रॉकेट में लिक्विड ऑक्सीजन (LOX) रिसाव, क्रू ड्रैगन मॉड्यूल में इलेक्ट्रिकल हार्नेस की खराबी, और इंजन एक्चुएटर में तकनीकी समस्याएं भी देरी का कारण बनीं. खराब मौसम ने भी लॉन्च की तारीखों को बार-बार स्थगित करने में भूमिका निभाई, क्योंकि सुरक्षित प्रक्षेपण के लिए अनुकूल मौसम आवश्यक है.
कब लॉन्च होगा मिशन?
इस मिशन को पहले 29 मई, 2025 को लॉन्च करने की योजना थी, लेकिन तकनीकी और पर्यावरणीय कारणों से यह कई बार टल चुका है, जिसमें 8 जून, 10 जून, 11 जून, 19 जून, और हाल ही में 22 जून की तारीखें शामिल हैं. नासा, इसरो, एक्सिओम स्पेस, और स्पेसएक्स मिलकर इन समस्याओं को हल करने और मिशन की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए काम कर रहे हैं. इसरो ने स्पष्ट किया है कि अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा और मिशन की अखंडता उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता है, जिसके कारण बार-बार देरी के बावजूद सावधानी बरती जा रही है. नई लॉन्च तारीख की घोषणा जल्द होने की उम्मीद है, लेकिन तब तक सभी तकनीकी पहलुओं और मॉड्यूल की कार्यक्षमता की गहन जांच जारी रहेगी.
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