शाह ने कहा कि देश के हर गांव में कम से कम एक सहकारी संगठन बनाने का लक्ष्य है. इसके अलावा कम से कम 50 करोड़ लोगों को सहकारिता के दायरे में लाने का लक्ष्य है.
New Delhi: देश में सहकारी क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को एक नई राष्ट्रीय नीति की घोषणा की. नई नीति का उद्देश्य हर गांव में अधिक पेशेवर रूप से प्रबंधित और वित्तीय रूप से स्वतंत्र सहकारी संगठन स्थापित करना है.
यह नवीनतम घोषणा 23 साल बाद आई है जब सहकारी समितियों के लिए इसी तरह की नीति 2002 में लाई गई थी, जब प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सत्ता में था. ‘राष्ट्रीय सहयोग नीति – 2025’ का अनावरण करते हुए शाह, जो गृह और सहकारिता मंत्रालय दोनों का कार्यभार संभाल रहे हैं, ने जोर देकर कहा कि सहकारिताएं कराधान सहित सभी पहलुओं में कॉर्पोरेट क्षेत्र के बराबर हैं. उन्होंने राज्यों से नई नीति को जल्द से जल्द लागू करने का आग्रह किया और इस बात पर जोर दिया कि सहकारी क्षेत्र में भारत के लिए विकास लाने की क्षमता है, जिसका लक्ष्य 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनना है.
हर गांव में सहकारी संगठन बनाने का लक्ष्य
उन्होंने कहा कि मिशन सहकारी संगठनों को पेशेवर, पारदर्शी, प्रौद्योगिकी से लैस और आर्थिक रूप से स्वतंत्र और सफल बनाना है. शाह ने कहा कि देश के हर गांव में कम से कम एक सहकारी संगठन बनाने का लक्ष्य है. इसके अलावा कम से कम 50 करोड़ लोगों को सहकारिता के दायरे में लाने का लक्ष्य है. मंत्री ने कहा कि नीति दूरदर्शी, व्यावहारिक और परिणामोन्मुखी है. उन्होंने आगे कहा कि मोदी सरकार ने 2027 तक भारत को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य रखा है. मुझे पूरा विश्वास है कि हम इस लक्ष्य को अवश्य प्राप्त करेंगे. शाह ने कहा कि पिछले 4 वर्षों में सहकारिता मंत्रालय ने कई उपलब्धियां हासिल की हैं, लेकिन इसकी सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि आज देश की सबसे छोटी सहकारी इकाई का सदस्य भी गर्व के साथ खड़ा है. मंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि यह नवीनतम नीति 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने में सहायक सिद्ध होगी.
राज्य सरकारों से भी लागू करने का आग्रह
उन्होंने राज्य सरकारों से भी नई नीति को लागू करने का आग्रह किया. शाह ने याद दिलाया कि केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार ने ही 2002 में सहकारी क्षेत्रों के लिए पहली राष्ट्रीय नीति बनाई थी और अगली नीति भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा ही पेश की गई है. यह नीति पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभाकर प्रभु की अध्यक्षता वाली 48 सदस्यीय राष्ट्रीय स्तरीय समिति द्वारा तैयार की गई है. नई सहकारी नीति 2025-45 तक यानी अगले दो दशकों के लिए भारत के सहकारी आंदोलन में मील का पत्थर साबित होगी. इसे सहकारी संस्थाओं को “वर्तमान आर्थिक परिदृश्य में अधिक सक्रिय और उपयोगी” बनाने और 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनने के लक्ष्य को प्राप्त करने में इस क्षेत्र की भूमिका को बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है. यह नीति सहकारी संस्थाओं को रोजगार सृजन केंद्र बनाने का भी प्रयास करेगी. इस समिति को हितधारकों से लगभग 750 सुझाव प्राप्त हुए. समिति ने RBI तथा NABARD के साथ व्यापक विचार-विमर्श भी किया.
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