न्यायमूर्ति गवई ने संविधान की सर्वोच्चता को रेखांकित करते हुए कहा कि भले ही संसद के पास संविधान में संशोधन करने का अधिकार है, लेकिन वह “मूल सिद्धांत” संरचना को नहीं छू सकती.
Mumbai: भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने रविवार को इस बात पर जोर दिया कि न तो न्यायपालिका और न ही कार्यपालिका, बल्कि देश का संविधान सर्वोच्च है. सभी स्तंभों को मिलकर काम करना चाहिए. उन्होंने संविधान की सर्वोच्चता को रेखांकित करते हुए कहा कि भले ही संसद के पास संविधान में संशोधन करने का अधिकार है, लेकिन वह “मूल सिद्धांत” संरचना को नहीं छू सकती. उन्होंने “बुलडोजर न्याय” का जिक्र करते हुए कहा कि आश्रय का अधिकार भी सर्वोच्च है. ये बातें न्यायमूर्ति गवई ने यहां बार काउंसिल महाराष्ट्र और गोवा द्वारा आयोजित अपने अभिनंदन समारोह और राज्य वकीलों के सम्मेलन में कही.
कहा- सामाजिक और आर्थिक मोर्चों पर भी देश विकसित
सीजेआई बीआर गवई ने देश की मजबूती के साथ-साथ सामाजिक और आर्थिक मोर्चों पर हो रही देश की तरक्की पर खुशी जताई. उन्होंने कहा कि भारत का संविधान सर्वोच्च है, न तो न्यायपालिका, न ही कार्यपालिका और न ही संसद सर्वोच्च है. कहा कि तीनों ही अंगों को संविधान के अनुसार काम करना है. सीजेआई गवई ने कहा कि संसद के पास संविधान में संशोधन करने की शक्ति है, लेकिन वह मूल सिद्धांत संरचना को नहीं छू सकती है. मूल संरचना सिद्धांत यह मानता है कि संविधान की कुछ मौलिक विशेषताएं, जैसे इसकी सर्वोच्चता, कानून का शासन और न्यायपालिका की स्वतंत्रता, को संसद द्वारा संविधान संशोधन के माध्यम से संशोधित या निरस्त नहीं किया जा सकता है.
जस्टिस के ऐतिहासिक फैसलों पर आधारित किताब का भी विमोचन
सीजेआई ने कहा कि देश का बुनियादी ढांचा मजबूत है. संविधान के तीनों स्तंभ – विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका समान हैं. उन्होंने कहा कि हमें एक-दूसरे के प्रति सम्मान दिखाना चाहिए. महाराष्ट्र से ताल्लुक रखने वाले गवई ने कहा कि वह ऐसे समय में प्रधान न्यायाधीश बनकर खुश हैं जब संविधान 75 साल पूरे कर रहा है और अपनी शताब्दी की ओर बढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि केशवानंद भारती मामले में दिए गए फैसले में बताए गए मूल ढांचे के सिद्धांत के कारण हमारा देश मजबूत है. संविधान के तीनों स्तंभ अपने निर्धारित दायरे में काम करने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि न्यायपालिका और विधायिका ने कई कानून बनाए हैं, जिससे सामाजिक और आर्थिक न्याय की अवधारणा पूरी होगी. इस कार्यक्रम में जस्टिस गवई द्वारा सुनाए गए 50 ऐतिहासिक फैसलों पर आधारित एक किताब का भी विमोचन किया गया.

बुलडोजर न्याय पर कहा- आश्रय का अधिकार एक मौलिक अधिकार
अपने भाषण में सीजेआई ने अपने कुछ फैसलों का हवाला दिया. “बुलडोजर न्याय” के खिलाफ अपने फैसले का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि आश्रय का अधिकार सर्वोच्च है. “आश्रय का अधिकार एक मौलिक अधिकार है. चाहे किसी व्यक्ति पर किसी अपराध का आरोप हो या उसे दोषी ठहराया गया हो, परिवार का घर, अगर कानूनी रूप से कब्जा किया गया है, तो उसे हटाया या ध्वस्त नहीं किया जा सकता है. इस अवसर पर सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश सूर्यकांत ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय में बॉम्बे उच्च न्यायालय के प्रतिनिधित्व के बारे में बार और बेंच दोनों की ओर से मांग बढ़ रही है. मैं स्पष्ट रूप से स्वीकार करता हूं कि कानून के विकास में महाराष्ट्र के बार द्वारा दिया गया योगदान, चाहे वह नागरिक कानून हो या आपराधिक कानून. आपके उच्च न्यायालय द्वारा किया गया योगदान उल्लेखनीय है. सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति अभय ओका और दीपांकर दत्ता और बॉम्बे हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए.
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