Home Business भारत के बैन के बाद कंगाल होने की राह पर पाकिस्तान, क्या फिर चीन बनेगा संकटमोचक?

भारत के बैन के बाद कंगाल होने की राह पर पाकिस्तान, क्या फिर चीन बनेगा संकटमोचक?

by Jiya Kaushik
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India Ban Pakistan

India Ban Pakistan: आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान से तोड़ा कारोबारी रिश्ता. चीन से भीख मांगने के बाद भी नहीं मिली कोई मदद. अब किस के आगे गिड़गिड़ाएगा आतंकी देश.

India Ban Pakistan: भारत द्वारा पाकिस्तान से सेंधा नमक (हिमालयन पिंक सॉल्ट) के आयात पर प्रतिबंध लगाए जाने से पाकिस्तान के नमक उद्योग पर बड़ा असर पड़ा है. खेवड़ा की खदानों से दुनिया भर में नमक भेजने वाले कारोबारी अब नए बाजारों की तलाश में भटक रहे हैं, लेकिन भारत जैसा बड़ा खरीदार खो देने से उनकी मुश्किलें बढ़ गई हैं.

भारत के बैन से टूटी पाकिस्तान की कमर

22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 निर्दोषों की मौत के बाद भारत ने पाकिस्तान के साथ सभी व्यापारिक रिश्ते समाप्त कर दिए. इसी फैसले के तहत पाकिस्तान से सेंधा नमक का आयात भी बंद कर दिया गया. खेवड़ा की खदानों से हर साल लाखों टन सेंधा नमक निकाला जाता है, जिसका बड़ा हिस्सा भारत जाता था. 2024 में पाकिस्तान ने करीब 3.5 लाख टन सेंधा नमक का निर्यात किया था, जिससे 12 करोड़ डॉलर की आमदनी हुई थी.

चीन से सहारा तो मिला पर मुनाफा नहीं

India Ban Pakistan

भारत के बैन के बाद पाकिस्तान ने चीन को सेंधा नमक भेजना शुरू किया. 2025 की पहली तिमाही में पाकिस्तान ने चीन को 136.4 करोड़ किलो नमक निर्यात किया, जिससे 18.3 लाख डॉलर मिले. लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि चीन का ऑर्डर अस्थायी है. चीन खुद भी नमक का बड़ा उत्पादक है और वहां की जरूरतें सीमित हैं. ऐसे में भारत जैसा स्थायी खरीदार मिलना पाकिस्तान के लिए मुश्किल दिख रहा है.

दूसरे देशों में रिश्ते बनानें निकला पाक

पाकिस्तानी कारोबारी अब अमेरिका, वियतनाम, मलेशिया, तुर्किये, इटली, रूस और ब्रिटेन जैसे देशों में नए ग्राहक ढूंढने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन हर देश के अपने टैक्स, नियम और क्वालिटी स्टैंडर्ड हैं. साथ ही इन देशों में पहले से ही अन्य सप्लायर्स अपनी पकड़ बनाए हुए हैं.

कारोबारी हो रहे परेशान

पाकिस्तान नमक विनिर्माता संघ की अध्यक्ष ने कहा कि “भारत का बाजार हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण था. वहां की बड़ी जनसंख्या, सेंधा नमक की धार्मिक उपयोगिता और लगातार मांग हमारे व्यापार की रीढ़ थी. इस नुकसान की भरपाई इतनी आसानी से नहीं हो पाएगी.”

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