RCom Loan Fraud Case: अनिल अंबानी की कंपनी RCom पहले से ही दिवालिया प्रक्रिया से गुजर रही है और अब उस पर सार्वजनिक बैंकों के साथ धोखाधड़ी करने का आरोप भी जुड़ गया है. आने वाले समय में कोर्ट और नियामक एजेंसियों की जांच इस मामले की दिशा तय करेगी.
RCom Loan Fraud Case: अनिल अंबानी की मुश्किलें एक बार फिर बढ़ती नजर आ रही हैं. स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने दिवालिया हो चुकी रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCom) के लोन अकाउंट को ‘फ्रॉड’ करार देते हुए गंभीर आरोप लगाए हैं. बैंक ने कहा है कि कंपनी ने लोन की रकम का दुरुपयोग किया और उसे अन्य कंपनियों में ट्रांसफर कर इंटर-कंपनी ट्रांजेक्शन और फर्जी इनवॉयस के जरिए गड़बड़ी की है. अगर SBI और अन्य बैंकों के ये आरोप प्रमाणित होते हैं, तो यह न केवल अंबानी की कानूनी मुश्किलें बढ़ा सकते हैं, बल्कि उनकी कारोबारी साख को भी गहरा नुकसान पहुंचा सकते हैं.
SBI ने लगाया आरोप
SBI ने स्टॉक एक्सचेंज में दाखिल अपने पत्र में बताया कि RCom ने लोन की स्वीकृत राशि को उन उद्देश्यों के लिए खर्च नहीं किया, जिनके लिए लोन लिया गया था. इसके बजाय इन पैसों को कंपनी की अन्य सहायक कंपनियों में भेजा गया और इंटर-कंपनी ट्रांजेक्शन के ज़रिए इनवॉयस में हेरफेर की गई. बैंक का दावा है कि यह मामला सीधे तौर पर फ्रॉड की श्रेणी में आता है.
‘SBI का फैसला एकतरफा’- अनिल अंबानी के वकील
इस कदम का अनिल अंबानी के वकील ने कड़ा विरोध किया है. उन्होंने 2 जुलाई 2025 को एक पत्र के माध्यम से SBI को जवाब देते हुए कहा कि बैंक का यह निर्णय चौंकाने वाला और एकतरफा है. वकील ने आरोप लगाया कि यह न केवल प्राकृतिक न्याय (Natural Justice) के सिद्धांतों का उल्लंघन करता है, बल्कि सुप्रीम कोर्ट और बॉम्बे हाईकोर्ट के निर्देशों और आरबीआई की गाइडलाइंस का भी सीधा उल्लंघन है.

आरोपों पर सुनवाई का मौका नहीं मिला
वकील ने यह भी कहा कि SBI ने लगभग एक साल तक उनके द्वारा भेजे गए जवाबों और सवालों को नजरअंदाज किया और कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दिया. इसके अलावा, अंबानी को इन आरोपों के खिलाफ अपनी बात रखने के लिए व्यक्तिगत सुनवाई का अवसर भी नहीं दिया गया. उनका कहना है कि पूरा मामला कानूनी रूप से एकतरफा तरीके से निपटाया जा रहा है और वह अब इस मुद्दे को कानूनी सलाह के अनुसार आगे बढ़ा रहे हैं.
पहले भी लग चुके हैं ऐसे आरोप
गौर करने वाली बात यह है कि SBI से पहले केनरा बैंक ने भी RCom के लोन अकाउंट को फ्रॉड घोषित किया था. बैंक का कहना था कि कंपनी ने लोन की राशि को कनेक्टेड पार्टियों को ट्रांसफर किया और यह इंटर-कंपनी ट्रांजेक्शन की श्रेणी में आता है, जो वित्तीय अनियमितता का संकेत देता है.
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