आरोपी को इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर लाया गया, जहां सीबीआई ने उसे गिरफ्तार कर लिया. उसे एक विशेष अदालत में पेश किया गया, जहां से उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.
New Delhi: भारत में यूनियन बैंक को करोड़ों की चपत लगाकर देश छोड़कर फरार जालसाज को अमेरिका ने शनिवार को भारत के हवाले कर दिया. जालसाज के खिलाफ इंटरपोल रेड कार्नर का नोटिस जारी था. भारत सरकार नौ साल से उसे सौंपने के लिए लंबी कानूनी लड़ाई लड़ रही थी.अधिकारियों ने बताया कि जालसाज अंगद सिंह चंडोक को शनिवार को एक ऑपरेशन में अमेरिका ने भारत को सौंप दिया. उन्होंने बताया कि उसे इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर लाया गया, जहां सीबीआई ने उसे गिरफ्तार कर लिया. उसे एक विशेष अदालत में पेश किया गया, जहां से उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.
2017 में आरोपी के खिलाफ जारी हुआ था इंटरपोल नोटिस
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के साथ 2014 में करोड़ों की धोखाधड़ी के एक मामले में वांछित चंडोक कानूनी कार्रवाई से बचने के लिए 2016 में अपने परिवार के सदस्यों के साथ अमेरिका भाग गया. आरोपी ने अपने पिता सुरेंद्र सिंह, मां हरलीन कौर और भाई हरसाहिब सिंह के साथ मिलकर यूनियन बैंक ऑफ इंडिया को धोखा दिया था, जिससे बैंक को करोड़ों का नुकसान हुआ था. उसे अपराधी घोषित किया गया था और अदालत ने उसके खिलाफ ओपन एंडेड गिरफ्तारी वारंट जारी किया था. 2017 में सीबीआई ने उसके खिलाफ इंटरपोल रेड नोटिस प्राप्त किया, जो सभी सदस्य देशों को वांछित व्यक्ति का पता लगाने और हिरासत में लेने के लिए सचेत करता है.
अमेरिका में संचालित करता था मनी लॉन्ड्रिंग नेटवर्क
अमेरिका में शरण लेने के बाद चंडोक तकनीकी घोटाले करने वाले अपराधियों के एक गिरोह के साथ जुड़ गया, जो वरिष्ठ नागरिकों सहित अमेरिकी नागरिकों को ठग रहे थे. वह मनी लॉन्ड्रिंग चैनलों के माध्यम से अर्जित आय को भारत में रहने वाले अपने सहयोगियों को भेजता था. अमेरिकी न्याय विभाग ने 2022 में कहा था कि वह एक लंबे समय से मनी लॉन्ड्रिंग नेटवर्क संचालित करता था. उसने ऑनलाइन फ्राड से लाखों डॉलर को स्थानांतरित करने के लिए शेल कंपनियां बनाई और उसका इस्तेमाल किया. चंदोक को 2022 में मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में रोड आइलैंड की अदालत ने छह साल कैद की सजा सुनाई थी. न्याय विभाग ने कहा कि चंदोक के निर्देश पर अमेरिका में रह रहे कुछ भारतीय छात्र भी काम कर रहे थे. चंदोक ने आपराधिक गतिविधियों से 1.5 मिलियन डॉलर से अधिक की कमाई की.
ये भी पढ़ेंः नकली कैंसर दवा रैकेट का मुख्य आरोपी पश्चिम बंगाल से गिरफ्तार, तीन साल से पुलिस को दे रहा था चकमा