Dalai Lama Successor Controversy: निर्वासित सरकार का तीखा जवाब इस बात का प्रतीक है कि तिब्बत अपने धर्म, परंपरा और गुरुओं के चयन में किसी बाहरी ताकत को हस्तक्षेप करने की अनुमति नहीं देगा. आने वाले दिनों में यह मुद्दा न केवल धार्मिक बल्कि राजनीतिक मंचों पर भी गूंजता रहेगा.
Dalai Lama Successor Controversy: दलाई लामा के उत्तराधिकारी को लेकर चल रही अंतरराष्ट्रीय बहस ने एक बार फिर तूल पकड़ लिया है. तिब्बत के आध्यात्मिक नेता ने स्पष्ट कर दिया है कि उनकी संस्था समाप्त नहीं होगी और उनका पुनर्जन्म अवश्य होगा, लेकिन ये निर्णय न बीजिंग लेगा, न कोई सरकार, बल्कि केवल आध्यात्मिक प्रक्रिया के तहत होगा. इस बयान के बाद तिब्बत की निर्वासित सरकार ने भी चीन पर तीखा हमला बोला है. उनके प्रमुख पेन्पा त्सेरिंग ने चीन को दो टूक शब्दों में जवाब देते हुए कहा है,“अगर पुनर्जन्म की इतनी चिंता है, तो पहले माओ का पुनर्जन्म तलाशो.”
दलाई लामा का स्पष्ट संदेश
हाल ही में एक सार्वजनिक बयान में दलाई लामा ने स्पष्ट किया कि उनकी संस्था खत्म नहीं हो रही और अगला दलाई लामा जरूर आएगा. उन्होंने कहा कि यह फैसला पूरी तरह आध्यात्मिक होगा और इसमें कोई राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं चलेगा. इस बयान के बाद चीन में हलचल मच गई है, वहीं दुनियाभर में तिब्बती समुदाय और बौद्ध अनुयायियों ने राहत की सांस ली है.
चीन को तिब्बत की चेतावनी
तिब्बत की निर्वासित सरकार के प्रमुख पेन्पा त्सेरिंग ने साफ शब्दों में कहा कि दलाई लामा के पुनर्जन्म का सवाल कोई चुनाव या राजनीतिक मुद्दा नहीं है. उन्होंने कहा, “चीन को पहले बौद्ध धर्म, पुनर्जन्म और तिब्बती संस्कृति की समझ होनी चाहिए. क्या चीन यह तय करेगा कि कोई आध्यात्मिक गुरु कहां जन्म लेगा?”

“पहले माओ का पुनर्जन्म तलाशिए”- पेन्पा का तीखा तंज
पेन्पा त्सेरिंग ने चीन पर तीखा तंज कसते हुए कहा कि यदि वाकई चीन पुनर्जन्म की प्रक्रिया में भरोसा करता है, तो उन्हें माओ जेदोंग या झियांग ज़ेमिन जैसे नेताओं के पुनर्जन्म की खोज करनी चाहिए. “आप धार्मिक सिद्धांतों को अपने राजनीतिक फायदे के लिए इस्तेमाल नहीं कर सकते,” उन्होंने कहा.
‘गोल्ड अर्न’ प्रक्रिया को सिरे से नकारा
पेन्पा ने चीन द्वारा प्रस्तावित ‘गोल्ड अर्न’ प्रक्रिया को भी पूरी तरह खारिज कर दिया. उन्होंने बताया कि यह प्रक्रिया 1793 में चिंग राजवंश द्वारा थोपी गई थी, जिसका मकसद तिब्बती धर्मगुरुओं पर नियंत्रण पाना था. “पहले आठ दलाई लामा बिना किसी ‘गोल्ड अर्न’ प्रक्रिया के चुने गए थे. ये प्रक्रिया तिब्बती संस्कृति का हिस्सा नहीं है,” उन्होंने दोहराया.
उत्तराधिकारी को लेकर अभी नहीं होगा कोई ऐलान
कई खबरों में दावा किया जा रहा था कि दलाई लामा की 90वीं जयंती पर उनके उत्तराधिकारी की घोषणा की जा सकती है, लेकिन पेन्पा त्सेरिंग ने इस अफवाह को पूरी तरह गलत बताया. उन्होंने कहा कि दलाई लामा ने खुद कहा है कि वे अभी कम से कम 20 साल और जीवित रहेंगे, और उत्तराधिकारी की घोषणा केवल उचित समय पर ही होगी.
चीन पर धार्मिक फूट डालने का आरोप
पेन्पा त्सेरिंग ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि चीन तिब्बती समाज में धार्मिक विभाजन फैलाने की कोशिश कर रहा है. उन्होंने कहा, “चीन की ये नीति ज्यादा दिन नहीं चलेगी. हम तिब्बती अपनी संस्कृति और धार्मिक स्वतंत्रता के लिए लड़ते रहेंगे. बीजिंग की दखलअंदाजी को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.”
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