शिमला के पुलिस अधीक्षक संजीव कुमार गांधी ने शनिवार को हिमाचल प्रदेश के पुलिस महानिदेशक पर सार्वजनिक रूप से निशाना साधा.
Shimla: हिमाचल प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड के चीफ इंजीनियर विमल नेगी मौत मामले की जांच में प्रदेश मुख्यालय अधिकारियों व शिमला जिला पुलिस अधिकारियों के बीच चल रही अंतर्कलह अब खुलकर सामने आ गई है. शिमला के पुलिस अधीक्षक संजीव कुमार गांधी ने शनिवार को हिमाचल प्रदेश के पुलिस महानिदेशक अतुल वर्मा पर सार्वजनिक रूप से निशाना साधा. आरोप लगाया कि उन्होंने विमल नेगी मौत मामले की एसआईटी जांच पर सवाल उठाते हुए भ्रामक स्थिति रिपोर्ट दाखिल की. कई मामलों में जांच में बाधा डालने का प्रयास किया गया.
मुख्य अभियंता की मौत से आ गया था राजनीतिक तूफान
एचपीपीसीएल कर्मचारी नेगी की रहस्यमय मौत की एसआईटी जांच का नेतृत्व करने वाले एसपी गांधी ने एक अभूतपूर्व कदम उठाते हुए हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा मामला सीबीआई को हस्तांतरित किए जाने के एक दिन बाद डीजीपी और उनके कर्मचारियों के खिलाफ कदाचार के कई आरोप लगाए. डीजीपी की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई. हिमाचल प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड के मुख्य अभियंता नेगी 10 मार्च को लापता हो गए थे और उनका शव 18 मार्च को मिला था. इस मामले ने हिमाचल प्रदेश में राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया है और विपक्षी भाजपा ने मामले को दबाने का आरोप लगाया है.
अदालत में पेश स्थिति रिपोर्ट को बताया गैर जिम्मेदाराना
शुक्रवार को अपने आदेश में उच्च न्यायालय ने कहा था कि डीजीपी ने अपनी स्थिति रिपोर्ट में जांच के तरीके और तौर-तरीकों पर गंभीर चिंता जताई है. गांधी ने संवाददाताओं से कहा कि वह इस तरह के अपमान को सहन करने के बजाय इस्तीफा देना पसंद करेंगे. कहा कि डीजीपी के गुप्त उद्देश्यों को बेनकाब करने के लिए अदालत में तथ्य और दस्तावेज पेश करने की कसम खाई. पुलिस अधीक्षक संजीव कुमार गांधी ने कहा कि डीजीपी द्वारा अदालत में पेश की गई स्थिति रिपोर्ट और हलफनामा बहुत गैर जिम्मेदाराना था. हमने जांच पूरी ईमानदारी और निष्ठा से की थी.
ड्रग व्यापार में शामिल था डीजीपी स्टाफ का एक सदस्य
ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि पुलिस मुख्यालय में तैनात वरिष्ठ पुलिस अधिकारी मेरे खिलाफ द्वेष रखते हैं. डीजीपी के कर्मचारियों पर निशाना साधते हुए गांधी ने कहा कि शिमला पुलिस द्वारा ड्रग माफिया के खिलाफ शुरू किए गए अभियान के दौरान, यह “संज्ञान में आया कि डीजीपी के निजी स्टाफ के एक सदस्य के संजय भूरिया गिरोह से संबंध थे. जो कथित तौर पर ड्रग व्यापार में शामिल था. उन्होंने यह भी दावा किया कि विनय अग्रवाल मामले में डीजीपी अतुल वर्मा के इशारे पर एक झूठी रिपोर्ट पेश की गई थी. गांधी ने आरोप लगाया कि “सीआईडी विभाग से गोपनीय दस्तावेज रिपोर्ट लीक करने में डीजीपी के निजी कर्मचारियों की संलिप्तता भी पाई गई है, जिसके बाद मामले में प्राथमिकी दर्ज की गई और मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि कई मौकों पर जांच को बाधित करने के लिए दबाव बनाया गया था.
कहा- मेरे खिलाफ लंबे समय से रची जा रही साजिश
पुलिस अधीक्षक संजीव कुमार गांधी ने आरोप लगाया कि उनके खिलाफ लंबे समय से साजिश डीजीपी कार्यालय द्वारा रची जा रही थी. उन्होंने कहा कि शिमला में एक भोजनालय में एक साधारण गैस रिसाव विस्फोट को आरडीएक्स मिलने का दावा कर आतंकवादी गतिविधि के रूप में पेश करने का प्रयास किया गया. उन्होंने आरोप लगाया कि यह पूर्व डीजीपी संजय कुंडू और पुलिस मुख्यालय में वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) के साथ छेड़छाड़ करके किया गया था. हालांकि, अंतिम रिपोर्ट में कहा गया है कि कोई आरडीएक्स नहीं था और यह एक गैस रिसाव विस्फोट था. एसपी ने आरोप लगाया कि मेरी छवि को धूमिल किया गया है.गांधी ने कहा कि उनके पास ईमानदारी और समर्पण का बेदाग रिकॉर्ड है और वे अपमान सहने के बजाय पद छोड़ना पसंद करेंगे.
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