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महाराष्ट्र विधान परिषद में पेश हुआ SC-ST विधेयक, अलग आयोग की मांग; केंद्र के पास भी हैं दो कमीशन

by Sachin Kumar
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Maharashtra Council Two bills separate commissions SC ST communities

Maharashtra Politics : महाराष्ट्र में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के दो अलग-अलग आयोग की मांग उठ रही है. इस पर राज्य सरकार ने तेजी से काम करना शुरू कर दिया और विधेयक भी पेश कर दिया है.

Maharashtra Politics : केंद्र की तरह महाराष्ट्र में भी अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) समुदाय के दो अलग आयोग बनाने की मांग उठ रही है. यही वजह है कि राज्य विधान परिषद में दो विधेयक पेश किए गए हैं. इसी बीच महाराष्ट्र के सामाजिक न्याय मंत्री संजय शिरसाट (SJM Sanjay Shirsat) ने शुक्रवार को कहा कि राज्य विधानसभा में SC और ST के लिए अलग-अलग आयोग बनाने के लिए बिल पेश किए हैं. बता दें कि महाराष्ट्र कैबिनेट ने पिछले महीने केंद्र के तहत एक समान निकाय की तर्ज पर दोनों समुदायों के लिए एक अलग आयोग बनाने की मंजूरी दी थी. वहीं, पिछले महीने मुख्यमंत्री कार्यालय की तरफ से एक बयान जारी किया गया था और उसमें कहा कि केंद्र के पास एससी और एसटी समुदायों के लिए दो अलग-अलग आयोग होने चाहिए.

जनजातीय सलाहकार समिति ने दिया सुझाव

महाराष्ट्र CMO ने आगे कहा कि दोनों आयोग अलग-अलग मुद्दों पर समाधान निकालने की कोशिश करेंगे और काफी जटिलताएं को भी सुलझाया जाएगा. आपको बताते चलें कि 51वीं जनजातीय सलाहाकार समिति ने आदिवासियों के लिए एक स्वतंत्र आयोग की सिफारिश की थी और समिति की तरफ से कहा गया था कि महाराष्ट्र राज्य अनुसूचित जनजाति के लिए एक अलग आयोग बनाया जाना चाहिए. साथ ही इस आयोग का अध्यक्ष अनुसूचित जनजाति का होना चाहिए. एक सदस्य कानून पृष्ठभूमि से होगा जो सेवानिवृत्त सत्र न्यायालय के न्यायाधीश या अधिवक्ता हो सकते हैं. महाराष्ट्र राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग की स्थापना के लिए एक मसौदा विधेयक में कहा गया है कि इसका अध्यक्ष ST समुदाय से होगा.

ऐसे चुने जाएंगे आयोग के सदस्य

इसके अलावा समिति में यह भी कहा गया है कि संयुक्त सचिव के पद से नीचे का कोई अधिकारी या सेवानिवृत्त राज्य या केंद्र सरकार का अधिकारी इसका सदस्य होगा. वहीं, एक सदस्य सामाजिक कार्य पृष्ठभूमि से होगा, जबकि दूसरा पूर्व आईपीएस अधिकारी होगा और उसके पास सामाजिक न्याय से संबंधित मामलों को संभालने का पर्याप्त अनुभव होगा. चार सदस्यों में से एक महिला होगी और सदस्यों का कार्यकाल तीन वर्षों के लिए होगा. दूसरी तरह यह भी कहा गया है कि राज्य सरकार में उप सचिव के पद से नीचे का कोई अधिकारी प्रशासनिक कार्य करने के लिए मुख्य कार्यकारी अधिकारी के रूप में काम करेगा.

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