Home Latest Niti Aayog: पंजाब का भाखड़ा बांध से पानी देने से इनकार, मान ने हरियाणा के साथ जल विवाद का उठाया मुद्दा

Niti Aayog: पंजाब का भाखड़ा बांध से पानी देने से इनकार, मान ने हरियाणा के साथ जल विवाद का उठाया मुद्दा

by Sanjay Kumar Srivastava
0 comment
Niti Aayog

मान ने कहा कि पंजाब और हरियाणा के बीच नदी के पानी का बंटवारा करते समय यमुना पर विचार नहीं किया गया, जबकि रावी और ब्यास के पानी पर विचार किया गया.

Chandigarh: दिल्ली में शनिवार को हुई नीति आयोग की बैठक में पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने हरियाणा के साथ जल विवाद का मुद्दा उठाया. दिल्ली में नीति आयोग की 10वीं शासी परिषद की बैठक में उन्होंने कहा कि केंद्र पंजाब के साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार कर रहा है.पंजाब और हरियाणा पानी के वितरण को लेकर आमने-सामने हैं. आप सरकार ने भाखड़ा बांध से पानी साझा करने से इनकार कर दिया है, यह कहते हुए कि पड़ोसी राज्य पहले ही अपने हिस्से का पानी इस्तेमाल कर चुका है. सीएम मान ने जोर देकर कहा कि पंजाब के पास किसी भी राज्य को देने के लिए कोई अतिरिक्त पानी नहीं है. उन्होंने इस स्थिति को कम करने के लिए सतलुज यमुना लिंक (एसवाईएल) नहर के ऊपर यमुना-सतलुज-लिंक (वाईएसएल) नहर के निर्माण की बात कही.

कहा- पानी का बंटवारा करते समय यमुना पर विचार नहीं

उन्होंने कहा कि रावी, ब्यास और सतलुज नदियों में पानी पहले से ही कम है. उन्होंने कहा कि पंजाब ने बार-बार अनुरोध किया है कि उसे यमुना-सतलज-लिंक परियोजना के तहत समझौते के रूप में यमुना के पानी के आवंटन के लिए वार्ता में शामिल किया जाए. यह परियोजना 12 मार्च, 1954 को तत्कालीन पंजाब और उत्तर प्रदेश के बीच हस्ताक्षरित हुई थी, जिसके तहत पंजाब को यमुना के दो-तिहाई पानी का अधिकार दिया गया था. उन्होंने कहा कि समझौते में यमुना से सिंचित होने वाले क्षेत्र को निर्दिष्ट नहीं किया गया था. उन्होंने कहा कि पुनर्गठन से पहले यमुना, रावी और ब्यास की तरह पंजाब से होकर बहती थी. उन्होंने दुख जताया कि पंजाब और हरियाणा के बीच नदी के पानी का बंटवारा करते समय यमुना पर विचार नहीं किया गया, जबकि रावी और ब्यास के पानी पर विचार किया गया.

भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड पर पक्षपातपूर्ण रवैये का आरोप

केंद्रीय स्तर पर गठित सिंचाई आयोग की 1972 की रिपोर्ट का हवाला देते हुए मान ने कहा कि इसमें कहा गया है कि पंजाब (1966 के बाद) यमुना नदी बेसिन में आता है, और इसलिए, यदि हरियाणा का रावी और ब्यास नदियों के पानी पर दावा है, तो पंजाब का भी यमुना के पानी पर समान दावा होना चाहिए. उन्होंने कहा कि इन अनुरोधों को नजरअंदाज कर दिया गया है और यमुना पर भंडारण संरचना की कमी के कारण पानी बर्बाद हो रहा है. मुख्यमंत्री ने इस मामले में भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) के पक्षपातपूर्ण दृष्टिकोण का भी आरोप लगाया. मान ने दावा किया कि पंजाब अपने साझेदार राज्यों के साथ पीने के पानी और अन्य जरूरतों को पूरा करने के लिए पानी साझा करने में बहुत उदार रहा है, जबकि राज्य अपनी मांगों को पूरा करने के लिए अपने भूजल भंडार पर निर्भर है, खासकर धान की सिंचाई के लिए. परिणामस्वरूप राज्य में भूजल स्तर काफी हद तक कम हो गया है.

पंजाब में हो रही पानी की कमी

मान ने कहा कि इसके 153 ब्लॉकों में से 115 ब्लॉक (76.10 प्रतिशत) का अत्यधिक दोहन हो चुका है, जो सभी राज्यों में सबसे अधिक है. उन्होंने कहा कि अब नहरों के उन्नत ढांचे के साथ पंजाब में पानी की कमी हो रही है और नदियों से मिलने वाला उसका हिस्सा भी उसकी जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है. उन्होंने आरोप लगाया कि बीबीएमबी ने बार-बार अनुरोध के बावजूद अन्य साझेदार राज्यों को हरियाणा को पानी छोड़ने के नियमन के लिए सलाह नहीं दी और परिणामस्वरूप 30 मार्च तक उसका हिस्सा समाप्त हो गया.

पंजाब ने दिया हरियाणा को 4,000 क्यूसेक पानी

उन्होंने कहा कि मानवीय आधार पर पंजाब ने हरियाणा को 4,000 क्यूसेक पानी छोड़ने का फैसला किया, लेकिन बीबीएमबी ने पंजाब के हितों की अनदेखी की. उन्होंने सदन को यह भी बताया कि बीबीएमबी में पंजाब के अधिकारियों को हाशिये पर रखा और नजरअंदाज किया जा रहा है. भाखड़ा नांगल बांधों पर सीआईएसएफ की तैनाती पर मान ने कहा कि बांधों की सुरक्षा उनके निर्माण के बाद से राज्यों की एकमात्र जिम्मेदारी रही है.

ये भी पढ़ेंः ‘हर राज्य का विकास बनाएगा भारत को विकसित राष्ट्र’, नीति आयोग की बैठक में बोले PM मोदी

You may also like

Feature Posts

Newsletter

Subscribe my Newsletter for new blog posts, tips & new photos. Let's stay updated!

@2025 Live Time. All Rights Reserved.

Are you sure want to unlock this post?
Unlock left : 0
Are you sure want to cancel subscription?
-
00:00
00:00
Update Required Flash plugin
-
00:00
00:00