Ashadha 2025: आषाढ़ माह हिंदू धर्म में पुण्य अर्जित करने और आत्मिक उन्नति का विशेष अवसर है. जो व्यक्ति इस माह की धार्मिक परंपराओं का पालन करता है, उसका जीवन आध्यात्मिक रूप से समृद्ध और आनंदमय बनता है.
Ashadha 2025: हिंदू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह का आरंभ इस वर्ष 12 जून 2025 को हो चुका है और यह 10 जुलाई 2025 तक चलेगा. धार्मिक दृष्टि से यह महीना अत्यंत पवित्र माना जाता है. खासकर भगवान शिव, विष्णु और सूर्य की आराधना का यह सबसे श्रेष्ठ समय होता है. इस मास में किए गए कुछ पारंपरिक धार्मिक कार्य न केवल पुण्य देते हैं, बल्कि मोक्ष प्राप्ति की दिशा में भी सहायक होते हैं.
पुण्य का सबसे सरल मार्ग है दान
आषाढ़ माह में दान को विशेष फलदायी माना गया है. शास्त्रों के अनुसार इस समय धन, आंवला, छाता और अन्न का दान करना चाहिए. गर्मी और वर्षा दोनों के कारण इस काल में जरूरतमंदों की सहायता करना विशेष पुण्यदायी होता है. दान से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है और आत्मिक संतोष की अनुभूति होती है.

चातुर्मास का आरंभ, शुभ कार्यों पर विराम
आषाढ़ से ही चातुर्मास की शुरुआत होती है, जिसमें शुभ विवाह, गृहप्रवेश आदि कार्य वर्जित माने जाते हैं. लेकिन इस दौरान हवन और यज्ञ करना अत्यंत लाभकारी होता है. शास्त्रों में कहा गया है कि इस महीने में यज्ञ करने से अन्य महीनों की तुलना में तीव्र पुण्यफल मिलता है.
मोक्ष प्राप्ति की ओर एक कदम

आषाढ़ के महीने में भगवान सूर्य की पूजा को भी विशेष स्थान प्राप्त है. प्रतिदिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और तांबे के लोटे में जल, अक्षत, लाल फूल, और गुड़ डालकर सूर्य को अर्घ्य दें. यह परंपरा आत्मिक शुद्धि के साथ-साथ मोक्ष का मार्ग भी खोलती है और सूर्य देव की कृपा बनी रहती है.
भगवान शिव और विष्णु की आराधना
इस माह में भगवान शिव की आराधना से मानसिक शांति प्राप्त होती है, जबकि भगवान विष्णु की भक्ति से वैभव और संतोष मिलता है. विशेषकर एकादशी व्रत, शिव अभिषेक और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करने से संपूर्ण जीवन में कल्याण की प्राप्ति होती है.
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