प्रसिद्ध कामाख्या मंदिर में वार्षिक अंबुबाची मेला 22 जून को कड़ी सुरक्षा के बीच शुरू हुआ, जिसमें कई लाख भक्त आए. इस दौरान कामाख्या मंदिर में वीआईपी दर्शन बंद थे.
Guwahati: मां कामाख्या मंदिर के कपाट गुरुवार को खोल दिए गए. चार दिन बाद कपाट खुलने से श्रद्धालुओं में काफी खुशी है.’अंबुबाची मेले’के कारण मंदिर के कपाट बंद कर दिए गए थे. मंदिर प्रशासन के अधिकारियों ने बताया कि नीलाचल पहाड़ी पर स्थित मां कामाख्या मंदिर के दरवाजे चार दिनों के ‘अंबुबाची मेले’ के बाद गुरुवार को भक्तों के लिए खोल दिए गए. यह मेला हर साल चार दिनों के लिए आयोजित किया जाता है जब मंदिर के दरवाजे बंद होते हैं, जो देवी कामाख्या के अनुष्ठानिक धर्म के साथ मेल खाता है. मंदिर के दरवाजे रविवार से बंद कर दिए गए थे.
22 जून को शुरू हुआ था अंबुबाची मेला
एक अधिकारी ने कहा कि मंदिर में पूजा-अर्चना ‘प्रभृति’ से रोक दी गई थी और गुरुवार को सुबह ‘निभृति’ के बाद दरवाजे फिर से भक्तों के लिए खोल दिए गए. कामरूप मेट्रोपॉलिटन जिले के एक अधिकारी ने कहा कि प्रसिद्ध कामाख्या मंदिर में वार्षिक अंबुबाची मेला 22 जून को कड़ी सुरक्षा के बीच शुरू हुआ, जिसमें कई लाख भक्त आए. इस अवसर पर मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि निबर्ति में भक्तों के लिए मां कामाख्या के द्वार खुलते ही मैं भारत के कल्याण के लिए मां कामाख्या से प्रार्थना करता हूं. उन्होंने कहा कि मां कामाख्या सभी को समृद्धि का आशीर्वाद दें और सभ्यता को आगे बढ़ाएं. जय मां कामाख्या.
कामाख्या मंदिर में बंद थे वीआईपी दर्शन
मालूम हो कि इस अवधि के दौरान मंदिर परिसर में अंबुबाची मेला आयोजित किया जाता है. यह राज्य में प्रमुख पर्यटन कार्यक्रमों में से एक है. अंबुबाची मेले के दौरान कामाख्या मंदिर में किसी भी वीआईपी या वीवीआईपी की आवाजाही की अनुमति नहीं थी और 23 जून से आगंतुकों के प्रवेश पर प्रतिबंध था. श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए कई शिविर बनाए गए थे और राज्य सरकार ने मेले के सुचारु संचालन को सुनिश्चित करने के लिए 24 विभागों के समन्वय में विभिन्न तरीकों से काम किया. पुलिस कर्मियों के लिए अलग से शिविर बनाए गए थे. प्रशासन ने डॉक्टरों और दवाओं के साथ चिकित्सा सुविधाओं के लिए शिविर भी स्थापित किए. ब्रह्मपुत्र नदी पार करने के लिए पर्याप्त नौकाएं थीं. अधिकारियों ने कहा कि पुलिसकर्मियों के अलावा स्वयंसेवकों, निजी सुरक्षा गार्डों और अन्य लोगों को भी यह सुनिश्चित करने के लिए लगाया गया था कि मेले के दौरान भक्तों को कोई समस्या न हो.
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