Iran-Israel War: इजरायल-ईरान जंग ने वैश्विक तेल बाजार को गंभीर संकट के मुहाने पर ला खड़ा किया है. अगर होर्मुज स्ट्रेट पर खतरा वास्तविकता में बदला तो दुनिया भर में तेल और ऊर्जा की कीमतों में उछाल आना तय है.
Iran-Israel War: इजरायल और ईरान के बीच बढ़ते तनाव ने वैश्विक तेल बाजार को अनिश्चितता में धकेल दिया है. इसके चलते Goldman Sachs ने चेताया है कि अगर हालात बिगड़े और होर्मुज स्ट्रेट से तेल की सप्लाई बाधित हुई, तो पूरी दुनिया को तेल संकट से जूझना पड़ सकता है, जिसका असर भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं पर गहरा होगा.
होर्मुज स्ट्रेट बंद होने पर क्या होगा असर?
बता दें, ईरान की संसद ने हाल ही में एक प्रस्ताव रखा गया है जिसमें आपात स्थिति में होर्मुज स्ट्रेट को बंद करने की मंजूरी दी गई है. अंतिम निर्णय ईरान की सुप्रीम नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल को लेना है. Goldman Sachs का अनुमान है कि अगर होर्मुज से सप्लाई एक महीने के लिए आधी रह गई और अगले 11 महीनों तक 10 फीसदी कम रही, तो ब्रेंट क्रूड की कीमत अस्थायी रूप से 110 डॉलर प्रति बैरल तक जा सकती है. इस स्थिति में 2025 की चौथी तिमाही में औसत कीमत 95 डॉलर प्रति बैरल रह सकती है.
तेल बाजार क्या है मौजूदा स्थिति
अमेरिका द्वारा ईरान पर एयरस्ट्राइक के बाद से तेल बाजार में भारी उथल-पुथल देखी जा रही है. सोमवार को ब्रेंट क्रूड की कीमत 5 महीने की ऊंचाई पर 78 डॉलर तक गई थी, लेकिन बाद में गिरकर 75.4 डॉलर पर आ गई इसके साथ WTI क्रूड भी 74 डॉलर के करीब देखा गया. होर्मुज स्ट्रेट, जिससे दुनिया के 27% तेल और 20% LNG की आपूर्ति होती है, पर मंडरा रहा खतरा बाजार को चिंतित कर रहा है.
भारत पर क्या असर दिखेगा?
बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस के मुताबिक अगर तेल की कीमत कुछ समय के लिए ही 10% बढ़े तो भारत की अर्थव्यवस्था पर ज्यादा असर नहीं होगा. लेकिन अगर ये कीमतें 100 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर लंबे समय तक बनी रहीं तो महंगाई, उपभोग और GDP पर गहरा असर होगा. गौरतलब है कि इस साल भारत सरकार ने बजट में कच्चे तेल की औसत कीमत 80 डॉलर प्रति बैरल मानकर तैयारी की थी. ऐसे में इससे ज्यादा कीमतें अर्थव्यवस्था के लिए खतरे की घंटी हो सकती हैं.

क्या वाकई होर्मुज बंद हो सकता है?
Goldman Sachs ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 2025 में होर्मुज स्ट्रेट को बंद करने की संभावना 52% तक आंकी जा रही है. कई जहाजों ने पहले ही वैकल्पिक रूट लेना शुरू कर दिया है. अगर ऐसा हुआ तो वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति पर बड़ा असर पड़ेगा.
आगे की स्थिति कैसी दिख रही है?
विशेषज्ञों का मानना है कि OPEC+ देशों के पास 6 मिलियन बैरल प्रतिदिन का अतिरिक्त उत्पादन मौजूद है, जिससे वे कीमतों को नियंत्रित कर सकते हैं. इसके अलावा अगर कीमतें 70 डॉलर से ऊपर बनी रहीं तो अमेरिका में शेल ऑयल का उत्पादन भी बढ़ सकता है.
ईरान की तेल स्थिति
मार्च 2025 में ईरान का तेल निर्यात 1.7 से 1.8 मिलियन बैरल प्रतिदिन पर था. उसका सबसे बड़ा ग्राहक चीन है, जो उसके 80-90% तेल निर्यात को खरीदता है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, ईरान ने 13 जून के बाद से खार्ग द्वीप पर बड़ी मात्रा में तेल स्टॉक करना शुरू कर दिया है, ताकि जरूरत पड़ने पर निर्यात किया जा सके.
यह भी पढ़ें: ईरान-इजरायल तनाव के बीच Air India ने उठाया ये कदम, यात्रियों को फिर हो सकती है परेशानी! जानें खबर