Israel-Iran Conflict : भारत अपनी जरूरत का तेल पारंपरिक रूप से मध्य पूर्व के देशों से खरीदता हुआ आया है. लेकिन ईरान-इजरायल संघर्ष के बीच भारत ने रूस और अमेरिका से तेल खरीदा है.
Israel-Iran Conflict : इजरायल और ईरान युद्ध में अमेरिका की एंट्री हो गई है और इसी कड़ी में USA ने ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर रविवार की तड़के हमला बोल दिया. वहीं, ईरान ने भी पलटवार की धमकी दी है. इसी कड़ी में बाजार में उतार-चढ़ाव देखा गया है और यही वजह है कि भारत ने जून के महीने में अभी तक रूस-अमेरिका से तेल का आयात बढ़ा दिया है. भारतीय रिफाइनर जून में 2-2.2 मिलियन बैरल प्रतिदिन रूसी कच्चे तेल का आयात कर सकते हैं और यह बीते दो सालों से काफी ज्यादा है. इसके अलावा इराक, UAE, सऊदी अरब और कुवैत से खरीदे गए तेल की मात्रा से भी काफी ज्यादा है.
1.96 मिलियन बैरल प्रति दिन खरीदा तेल
मई 2025 में रूस से भारत का तेल आयात 1.96 मिलियन बैरल प्रति दिन था. जून में संयुक्त राज्य अमेरिका से आयात भी बढ़कर 439,000 BPD हो गया, जो बीते महीने खरीदा गया 280,000 BPD से बहुत ज्यादा है. केप्लर के अनुसार, मध्य पूर्व से आयात के लिए पूरे महीने का अनुमान 2 मिलियन BPD है, जो पिछले महीने की खरीद से कम है. दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा आयातक और उपभोक्ता भारत ने विदेशों से करीब 5.1 मिलियन बैरल कच्चा तेल खरीदा जिसको रिफाइनरियों में पेट्रोल और डीजल जैसे ईंधन में परिवर्तित किया जाता है. पारंपरिक रूप से भारत मध्य पूर्व से अपनी जरूरत का तेल खरीदता हुआ आया है लेकिन इस बार उसने रूस और अमेरिका की तरफ रूख किया है.
यूक्रेन युद्ध के बाद रूस से बढ़ाया तेल आयात
आपको बताते चलें कि यूक्रेन पर आक्रमण के तुरंत बाद रूस से बड़ी मात्रा में तेल आयात करना शुरू कर दिया. भारत यह काम इसलिए शुरू कर दिया क्योंकि पश्चिम प्रतिबंधों और कुछ यूरोपीय देशों द्वारा खरीद से परहेज करने के कारण रूसी तेल अन्य अंतरराष्ट्रीय बेंचमार्क की तुलना में काफी छूट पर उपलब्ध था. यही वजह है कि भारत ने रूसी तेल के आयात में काफी वृद्धि की. हालांकि, मध्य पूर्व में काफी संघर्ष होने के बाद तेल आपूर्ति को प्रभावित नहीं किया है. केप्लर में रिफाइनिंग और मॉडलिंग के प्रमुख सुमित रिटोलिया ने कहा कि मध्य पूर्व से फिलहाल आपूर्ति प्रभावित नहीं हुई है, लेकिन जहाजों की गतिविधि आने वाले दिनों में मध्यम ओमान की खाड़ी से MEJ-बाउंड सिग्नल आधे हो गए हैं. उन्होंने कहा कि इससे पता चलता है कि निकट भविष्य में MEJ की मौजूदा आपूर्ति कम होने की पूरी संभावना होगी.
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