Home International ‘यूरेनियम वापस करो नहीं तो अंजाम बुरा होगा’, इजरायल ने ईरान को फिर धमकाया

‘यूरेनियम वापस करो नहीं तो अंजाम बुरा होगा’, इजरायल ने ईरान को फिर धमकाया

by Rishi
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Iran-Israel War

Israel-Iran Tensions: युद्ध से पहले ईरान ने अपने फोर्डो परमाणु संयंत्र से अधिकांश अत्यधिक संवर्धित यूरेनियम को कथित तौर पर दूसरी जगह स्थानांतरित कर दिया था.

Israel-Iran Tensions: इजरायल और ईरान के बीच 12 दिन की जंग के बाद लागू हुआ संघर्षविराम अब नए विवाद की वजह बन रहा है. इजरायल ने ईरान को सख्त अल्टीमेटम देते हुए कहा है कि वह अपनी 400 किलोग्राम अत्यधिक संवर्धित यूरेनियम की स्टॉकपाइल तुरंत सौंप दे, वरना गंभीर परिणाम भुगतने होंगे. इजरायल के रक्षा मंत्री इजरायल काट्ज ने गुरुवार को चैनल 13 को दिए एक इंटरव्यू में कहा, “हमारी हमले की शुरुआत से ही यह स्पष्ट था कि हम सारा यूरेनियम नष्ट नहीं कर पाएंगे. इजरायल और अमेरिका की साझा स्थिति है कि ईरान को यह सामग्री सौंपनी होगी.”

फोर्डो परमाणु साइट से हटाया गया था यूरेनियम भंडार

यह विवाद तब शुरू हुआ, जब युद्ध से पहले ईरान ने अपने फोर्डो परमाणु संयंत्र से अधिकांश अत्यधिक संवर्धित यूरेनियम को कथित तौर पर दूसरी जगह स्थानांतरित कर दिया था. रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, एक वरिष्ठ ईरानी सूत्र ने दावा किया कि फोर्डो से यूरेनियम को हमले से पहले ही हटा लिया गया था. मैक्सार टेक्नोलॉजीज की सैटेलाइट इमेजरी में हमले से पहले और बाद में फोर्डो के प्रवेश द्वार पर वाहनों की लंबी कतारें देखी गईं, जिससे इस दावे को बल मिलता है.

पूरी तरह सच नहीं है डोनाल्ड ट्रंप का दावा

इजरायल और अमेरिका ने 22 जून को ईरान के तीन प्रमुख परमाणु स्थलों- फोर्डो, नतांज और इस्फहान पर हवाई हमले किए थे. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया था कि इन हमलों ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को “पूरी तरह नष्ट” कर दिया है. हालांकि, यूएन की परमाणु निगरानी संस्था IAEA के प्रमुख राफेल ग्रॉसी ने कहा कि यूरेनियम की स्टॉकपाइल का अधिकांश हिस्सा संभवतः बच गया है, क्योंकि इसे हमलों से पहले स्थानांतरित कर दिया गया था. ग्रॉसी ने IAEA के इंस्पेक्टरों को ईरान के परमाणु स्थलों पर तत्काल पहुंच की मांग की है, ताकि नुकसान का आकलन और यूरेनियम की स्थिति सत्यापित की जा सके.

इजरायल क्यों करना चाहता है ईरान के परमाणु प्रोग्राम को खत्म

ईरान ने इन हमलों को अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन बताते हुए कड़ी प्रतिक्रिया दी है. ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता इस्माइल बघाई ने कहा, “दबाव, धमकी या बल प्रयोग से हमारे अधिकारों को कमजोर नहीं किया जा सकता. हमारे परमाणु कार्यक्रम के अधिकार बरकरार हैं.” ईरान ने यह भी कहा कि वह IAEA के साथ सहयोग के लिए तैयार है, लेकिन हमलों की निंदा न करने के लिए IAEA की आलोचना की. इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि ये हमले ईरान के परमाणु हथियार बनाने की क्षमता को रोकने के लिए जरूरी थे. हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि हमलों ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को केवल कुछ महीनों के लिए ही पीछे धकेला है, क्योंकि यूरेनियम का ज्ञान और तकनीक अभी भी बरकरार है. अब इजरायल का यह अल्टीमेटम क्षेत्र में तनाव को और बढ़ा सकता है. ईरान ने चेतावनी दी है कि वह किसी भी नए हमले का “कड़ा और आनुपातिक” जवाब देगा.

इस बीच, अमेरिका ने भी ईरान पर दबाव बनाए रखने की बात कही है. ट्रंप ने कहा कि वह अगले हफ्ते ईरान के साथ परमाणु कार्यक्रम को लेकर बातचीत शुरू करेंगे, लेकिन ईरान ने साफ किया है कि हमलों के बाद बातचीत पहले से कहीं ज्यादा मुश्किल होगी. यह स्थिति मध्य पूर्व में एक नए संघर्ष की आशंका को जन्म दे रही है.

ये भी पढ़ें..अमेरिका-भारत के बीच बड़ी ट्रेड डील की संभावना, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दिए बड़े संकेत

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