Home National दुश्मनों की खैर नहीं! ISRO लॉन्च करने जा रहा पीएसएलवी-सी 61, खासियत जानकर उड़ जाएंगे होश

दुश्मनों की खैर नहीं! ISRO लॉन्च करने जा रहा पीएसएलवी-सी 61, खासियत जानकर उड़ जाएंगे होश

by Live Times
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इसरो शनिवार तड़के पीएसएलवी-सी 61 को लॉन्च करेगा. ISRO का 101वें मिशन पर हर भारतवासी की नजरें टिकी हैं.

इसरो शनिवार तड़के पीएसएलवी-सी 61 को लॉन्च करेगा. ISRO का 101वें मिशन पर हर भारतवासी की नजरें टिकी हैं.

PSLV-C61 Launching: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) कई सफल मिशनों के रिकॉर्ड बना चुका है और उसका ये सफर जारी है. इसी कड़ी में पीएसएलवी-सी 61 की लॉन्चिंग की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है जिसकी जानकारी इसरो के सूत्रों ने दी. न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, रविवार, 18 मई 2025 को श्रीहरिकोटा स्थित अंतरिक्ष केंद्र के प्रथम ‘लॉन्च पैड’ से सुबह पांच बजकर 59 मिनट पर पीएसएलवी-सी61 को लॉन्च किया जाएगा. अहम ये है कि ISRO का 101वां मिशन बनने जा रहा है जिसके साथ ही इसके नाम एक नया कीर्तिमान भी जुड़ जाएगा.

क्या है इस मिशन की खासियत?

अपने 63वें मिशन में पीएसएलवी पृथ्वी अवलोकन उपग्रह (ईओएस-09) को साथ ले जाएगा जिसकी मदद से मौसम परिस्थितियों में पृथ्वी की सतह की उच्च गुणवत्ता वाली तस्वीरें लेने में मदद मिलेगी. इसके अलावा इस उपग्रह से जो भी तस्वीरें खींची जाएंगी, वो कृषि, फॉरेस्ट्री मॉनिटरिंग, ​​डिजास्टर मैनेजमेंट, अर्बन प्लानिंग और नेशनल सिक्योरिटी के लिहाज से काफी जरूरी होंगी. ईओएस-09 उपग्रह का वजन 1,696.24 किलोग्राम बताया जा रहा है जो अर्थ ऑबर्जर्वेशन सैटेलाइट के ग्रुप में शामिल हो जाएगा.

क्या है इस मिशन का उद्देश्य?

बड़ा सवाल जो लोगों के मन में उठ रहा है वो ये है कि इस मिशन का हासिल और उद्देश्य क्या रहेगा? दरअसल, इस मिशन के जरिए तात्कालिक समय पर होने वाली घटनाओं की जानकारी को जुटाया जाएगा. बता दें कि अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट (EOS-09) 2022 में लॉन्च हुए ईओएस-04 जैसी ही सैटेलाइट है. अनुमान है कि मात्र 17 मिनट की यात्रा करने के बाद ही PSLV-C61 रॉकेट ईओएस-09 सैटेलाइट को सूरज के समान पोलर ऑर्बिट में स्थापित कर देगा.

लॉन्चिंग के बाद वैज्ञानिक करेंगे ये काम

सैटेलाइट के अलग हो जाने के बाद ही साइंटिस्ट इसकी ऊंचाई को कम करने के लिए ‘ऑर्बिट चेंज थ्रस्टर्स’ (ओसीटी) का यूज करेंगे. इसरो के मुताबिक, ईओएस-09 की मिशन अवधि पांच साल की है. वैज्ञानिकों ने जानकारी दी है कि सैटेलाइट को मिशन के पूरा करने के बाद इसे ऑर्बिट से बाहर निकालने के लिए पर्याप्त मात्रा में फ्यूल को रिजर्व किया गया है. फ्यूल रिजर्व करने के पीछे तर्क दिया जा रहा है कि इस सैटेलाइट को दो सालों में ही ऑर्बिट से नीचे उतारने की योजना इसलिए बनाई गई है ताकि मलबा-मुक्त मिशन को अंजाम दिया जा सके. जाहिर तौर पर देश के हर नागरिक के लिए ये लम्हा खास होने के साथ ही उन्हें गौरवान्वित करने वाला भी है. हर देशवासी इस मिशन की कामयाबी के लिए दुआ कर रहा है. दुनिया के कई देशों की भी इस पर निगाहें हैं.

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