History of RAW: वो संस्था जिसने पकड़े देश के दुश्मन और रचे गुप्त इतिहास के पन्ने; क्या आप जानते हैं उस संस्था का असली इतिहास?
History of RAW: रॉ, यानी Research and Analysis Wing, वो रहस्यमयी संस्था जिसने भारत की सीमाओं से बाहर जाकर कई बड़े ऑपरेशन्स को अंजाम दिया वो भी चुपचाप, सटीक और ऐतिहासिक तरीके से, लेकिन एक सवाल आज भी लोगों के मन में आता है कि, जब पहले से ही IB (Intelligence Bureau) जैसी खुफिया एजेंसी भारत में सक्रिय थी, तो फिर RAW की जरूरत क्यों पड़ी? जवाब छिपा है 1965 के उस युद्ध में… जब खुफिया चूक ने बदल दिया भारत के फैसलों का रुख और फिर बनाई गई RAW. रॉ, का जन्म एक भूल की भरपाई था. एक ऐसी चूक जिसने भारत को सिखाया कि सुरक्षा सिर्फ सीमाओं तक नहीं होती, उसके लिए दुश्मन के इरादों को भी समझना जरूरी होता है.
जब एक चूक से चूक गया इतिहास
1965 का भारत-पाकिस्तान युद्ध 22 दिन चला, लेकिन कोई निर्णायक जीत नहीं हुई. ये सब जानते हैं की दोनों देशों के बीच युद्धविराम हो गया, लेकिन इसके पीछे का सच ये है कि पाकिस्तान लगभग हथियारविहीन हो चुका था और अमेरिका ने भी सैन्य मदद से हाथ खींच लिया था. जिसके चलते युद्धविराम हुआ.
तो चूक कहां हुई?
भारत को ये अहम खुफिया जानकारी समय पर नहीं मिली, वजह थी IB की सीमा और उसकी कार्यप्रणाली. IB उस समय तक केवल आंतरिक सुरक्षा और घरेलू खुफिया के लिए काम करती थी. पाकिस्तान के अंदर की गहराइयों तक घुसकर जानकारी लाना उसके दायरे से बाहर था. जब भारत को दुश्मन की कमजोरी की जानकारी मिली, तब तक बहुत देर हो चुकी थी.
यही थी RAW की शुरुआत की वजह
इस चूक से भारत सरकार को एहसास हुआ कि देश को एक ऐसी खुफिया संस्था चाहिए, जो सीमा पार जाकर काम कर सके, जो दुश्मन के घर में घुसकर उसकी चालें भांप सके. और फिर 21 सितंबर 1968 को अस्तित्व में आई RAW, जिसके पहले प्रमुख बने रामेश्वर नाथ काव.
RAW के गठन के तुरंत बाद IB से 250 अधिकारियों को स्थानांतरित किया गया. फिर कॉलेजों और विश्वविद्यालयों से सीधे एजेंट चुने जाने लगे, लेकिन यह प्रक्रिया 1973 में बंद कर दी गई.
रॉ ने कैसे रचे अपने कारनामों से इतिहास?

RAW ने न केवल पाकिस्तान बल्कि बांग्लादेश युद्ध, श्रीलंका, अफगानिस्तान और तमाम वैश्विक मिशनों में भारत के लिए अहम भूमिका निभाई. यह वह संस्था है जिसकी मौजूदगी छाया की तरह होती है जो दिखती नहीं, लेकिन असर छोड़ जाती है. इसके एजेंट आज भी दुनिया के तमाम देशों में गुप्त रूप से काम कर रहे हैं.
नया अध्याय; पराग जैन की नियुक्ति
अब RAW के नए मुखिया बनाए गए हैं सीनियर आईपीएस अधिकारी पराग जैन, जो ऑपरेशन सिंदूर के मास्टरमाइंड रहे हैं. वे 1 जुलाई 2025 से कार्यभार संभालेंगे. बता दें, मौजूदा प्रमुख रवि सिन्हा 30 जून को रिटायर हो रहे हैं.
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