Home National प्रधानमंत्री मोदी के अर्जेंटीना पहुंचने पर कांग्रेस ने किया इंदिरा गांधी का जिक्र, जानें पूरा मामला

प्रधानमंत्री मोदी के अर्जेंटीना पहुंचने पर कांग्रेस ने किया इंदिरा गांधी का जिक्र, जानें पूरा मामला

by Vikas Kumar
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Jairam Ramesh

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने पीएम मोदी के अर्जेंटीना पहुंचने के मौके पर कांग्रेस के इस देश के साथ संबंधों पर प्रकाश डाला है. जयरमा रमेश ने कई मुद्दों का एक्स पोस्ट में जिक्र किया.

Jairam Ramesh on PM Modi Visit: कांग्रेस ने एकबार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विदेश दौरे से जुड़ा पोस्ट किया है. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए रवींद्रनाथ टैगोर और इंदिरा गांधी का भी जिक्र किया. जयराम रमेश ने बताया कि अर्जेंटीना के साथ कांग्रेस नेताओं के संबंध भी काफी खास रहे हैं. इस दौरान जयराम रमेश ने इस देश के साथ तीन अहम संबंधों का भी जिक्र किया.

जयराम रमेश ने क्या लिखा?

जयराम रमेश ने लिखा, “सुपर प्रीमियम फ्रीक्वेंट फ्लायर आज अर्जेंटीना में है. भारतीयों के लिए अर्जेंटीना का मतलब डिएगो आर्मंडो माराडोना और लियोनेल मेस्सी से है.लेकिन तीन गहरे संबंध भी हैं.रवींद्रनाथ टैगोर ने नवंबर 1924 में विक्टोरिया ओकैम्पो के निमंत्रण पर अर्जेंटीना में समय बिताया, जो एक प्रमुख साहित्यिक हस्ती थीं. टैगोर की रचनाएं पहले से ही बहुत प्रसिद्ध थीं. उन्होंने और ओकैम्पो ने एक मधुर मित्रता विकसित की, जिसके बारे में टैगोर के जीवनीकारों ने विस्तार से लिखा है, केतकी कुशारी डायसन ने इस पर एक पूरी किताब समर्पित की है. टैगोर की 52 काव्य कविताओं का संग्रह पूरबी – ठीक सौ साल पहले प्रकाशित हुआ – ‘विजय’ को समर्पित था, जो ओकैम्पो के लिए उनका नाम था. सितंबर 1968 में इंदिरा गांधी ने ब्यूनस आयर्स में ओकैम्पो से मुलाकात की और उन्हें टैगोर के विश्वभारती विश्वविद्यालय से डॉक्टर ऑफ लिटरेचर की मानद उपाधि प्रदान की, जिसमें उन्होंने खुद जुलाई 1934 से नौ महीने बिताए थे.”

दूसरे संबंध में किसका किया जिक्र?

जयराम रमेश ने लिखा, “जोस लुइस बोर्गेस, जिन्हें ओकैम्पो के माध्यम से कुछ शुरुआती सफलताएं मिलीं, बीसवीं सदी के अर्जेंटीना और स्पेनिश साहित्य के दिग्गज थे. 1906 में जब वे सात साल के थे, तब बोर्गेस ने सर एडविन अर्नोल्ड की द लाइट ऑफ एशिया पढ़ी थी और इससे उन्हें बुद्ध के जीवन को और भी अधिक पढ़ने और जानने की प्रेरणा मिली. बुद्ध का प्रभाव बोर्गेस की लघु कथाओं, निबंधों, कविताओं और व्याख्यानों में परिलक्षित होता है. 1969 तक, वे पूरी तरह से अंधे हो गए थे, लेकिन इससे उन्हें और भी अधिक प्रसिद्धि मिली. 1986 में उनकी मृत्यु से दस साल पहले, बोर्गेस की पुस्तक क्यू एस एल बुदिस्मो (बौद्ध धर्म क्या है), बुद्ध के प्रति उनके जीवन भर के आकर्षण को दर्शाती है, प्रकाशित हुई थी. 6 जुलाई, 1977 को बोर्गेस ने ब्यूनस आयर्स में बौद्ध धर्म पर अपना प्रसिद्ध व्याख्यान दिया, जो यूट्यूब पर अब भी मौजूद है.”

डॉ. मनमोहन सिंह का भी किया जिक्र

जयराम रमेश ने लिखा, “राउल प्रीबिश 1950 और 1960 के दशक में खास तौर पर एक बहुत प्रभावशाली अर्थशास्त्री थे. उन्होंने व्यापार और विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन की स्थापना में मदद की, एक ऐसा संगठन जिसने UNCTAD के रूप में विश्व आर्थिक इतिहास में अपना स्थान अर्जित किया. डॉ. मनमोहन सिंह ने जनवरी 1966 से मई 1969 के दौरान न्यूयॉर्क में UNCTAD में काम किया था और इस दौरान उनकी अपनी दो बेटियों के साथ एक प्यारी सी तस्वीर है. UNCTAD का दूसरा सत्र जनवरी-मार्च 1968 के दौरान नई दिल्ली में आयोजित किया गया था – पहली बार एक विकासशील देश संयुक्त राष्ट्र के किसी बड़े आयोजन की मेजबानी कर रहा था. यह UNCTAD ही था जिसने G77 के विचार को प्रचारित किया – विकासशील देशों का समूह जो वैश्विक मंचों पर प्रभावशाली बन गया है. समूह में अब 133 विकासशील देश हैं। चीन खुद को इसका औपचारिक सदस्य नहीं मानता है और इसलिए समूह को G77 प्लस चीन कहा जाता है. ग्लोबल साउथ एक और शब्द है जिसका प्रयोग आजकल श्री मोदी और विदेश मंत्री द्वारा बहुत अधिक किया जा रहा है – इस शब्द का प्रचार-प्रसार भी यूएनसीटीएडी द्वारा किया गया था, हालांकि इसका पहली बार प्रयोग ब्रिटिश बैंकर ओलिवर फ्रैंक्स ने 1960 में किया था.”

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