Home Politics ‘सिस्टम किसानों को मार रहा है लेकिन मोदी जी…’, राहुल गांधी का वार, अनिल अंबानी का किया जिक्र

‘सिस्टम किसानों को मार रहा है लेकिन मोदी जी…’, राहुल गांधी का वार, अनिल अंबानी का किया जिक्र

by Vikas Kumar
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Rahul gandhi

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए महाराष्ट्र में आत्महत्या करने वाले किसानों का जिक्र किया. राहुल गांधी ने इस संवेदनशील मुद्दे पर केद्र को चुप्पी के लिए घेरा है.

Rahul Gandhi Slams PM Modi: कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने महाराष्ट्र में किसानों की मौत पर केंद्र सरकार को घेरा है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर राहुल गांधी ने महाराष्ट्र में किसानों की मौत से संबंधित आंकड़े जारी किए और केंद्र की चुप्पी पर सवाल उठाए. राहुल के साथ ही कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक्स पोस्ट में वन अधिकार अधिनियम का जिक्र किया.

राहुल गांधी ने क्या लिखा?

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक्स पोस्ट में लिखा, “सोचिए.. सिर्फ 3 महीनों में महाराष्ट्र में 767 किसानों ने आत्महत्या कर ली. क्या ये सिर्फ एक आंकड़ा है? नहीं। ये 767 उजड़े हुए घर हैं. 767 परिवार जो कभी नहीं संभल पाएंगे. और सरकार? चुप है. बेरुखी से देख रही है. किसान हर दिन कर्ज में और गहराई तक डूब रहा है – बीज महंगे हैं, खाद महंगी है, डीजल महंगा है.. लेकिन MSP की कोई गारंटी नहीं. जब वो कर्ज माफी की मांग करते हैं, तो उन्हें नजरअंदाज कर दिया जाता है. लेकिन जिनके पास करोड़ों हैं? उनके लोन मोदी सरकार आराम से माफ कर देती है. आज की ही खबर देख लीजिए – अनिल अंबानी का ₹48,000 करोड़ का SBI “फ्रॉड”. मोदी जी ने कहा था, किसान की आमदनी दोगुनी करेंगे – आज हाल ये है कि अन्नदाता की जिदगी ही आधी हो रही है. ये सिस्टम किसानों को मार रहा है – चुपचाप, लेकिन लगातार और मोदी जी अपने ही PR का तमाशा देख रहे हैं.”

जयराम रमेश ने किस मुद्दे का किया जिक्र?

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक्स पोस्ट में लिखा, “हाल ही में 150 नागरिक संगठनों और एक्टिविस्टों ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर वन अधिकार अधिनियम, 2006 को योजनाबद्ध तरीके से कमजोर करने में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की भूमिका पर गंभीर चिंता जताई है. पत्र में पांच अहम बिंदुओं को रेखांकित किया गया है: 1. पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री द्वारा दिए गए खुद के ऐसे बयान, जिनमें वन अधिकार अधिनियम, 2006 को देश के प्रमुख वन क्षेत्रों के क्षरण और नुकसान के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है. 2. वन अतिक्रमण को लेकर कानूनी तौर पर अपुष्ट आंकड़ों को लगातार संसद और नेशनल ग्रीन ट्राइब्यूनल (NGT) के सामने पेश किया जाना. 3. जून 2024 में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण द्वारा देशभर के टाइगर रिजर्व से लगभग 65,000 परिवारों को बेदखल करने के आदेश देना. 4. भारतीय वन सर्वेक्षण द्वारा पिछले एक दशक में वन क्षेत्र में आई गिरावट के लिए वन अधिकार अधिनियम को गलत तरीके से जिम्मेदार ठहराना. 5. 2023 में बिना पर्याप्त संसदीय बहस के पारित किया गया वन (संरक्षण) अधिनियम संशोधन और उसके तहत लागू किए गए ‘वन संरक्षण एवं संवर्धन नियम, 2023’ -जिनका असर वनों की मात्रा और गुणवत्ता दोनों पर पड़ा है. ये सभी मुद्दे विशेष रूप से आदिवासी और वन क्षेत्रों में रहने वाले अन्य समुदायों के लिए अत्यंत अहम हैं, जिनकी आजीविका जंगलों पर निर्भर है. साथ ही, ये भारत की पारिस्थितिकीय सुरक्षा के लिए भी बेहद जरूरी हैं. दुर्भाग्य से मोदी सरकार का अब तक का ट्रैक रिकॉर्ड यह भरोसा नहीं दिलाता कि इन महत्वपूर्ण सवालों पर कोई ध्यान दिया जाएगा और न तो उन समुदायों से संवाद किया जाएगा जिन्हें इन नीतियों के कारण सीधे नुकसान उठाना पड़ रहा है.”

ये भी पढ़ें- ‘डोकलाम और गलवान भूलकर चीन के लिए लाल कार्पेट बिछाया’, मोदी सरकार पर बरसे खड़गे

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