बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने लाइव टाइम्स के कॉन्क्लेव में कहा कि जब उन्हें अपना विभाग पसंद नहीं था तो पीएम मोदी ने उनसे कहा कि ये मेरे विजन का विभाग है.
Jitan Ram Manjhi: बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के अध्यक्ष जीतन राम मांझी मंगलवार (10 जून, 2025) को न्यूज चैनल लाइव टाइम्स के कॉन्क्लेव में शामिल हुए. इस दौरान उन्होंने कई मुद्दों पर बेबाकी से अपनी राय रखी. मोदी सरकार के 11 साल पूरे होने के मौके पर जीतन राम मांझी ने इसे उपलब्धि वाले साल बताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जमकर तारीफ की. इस दौरान जीतन राम मांझी से उनके मंत्रालय को लेकर सवाल पूछा गया कि इस मंत्रालय के तहत उनके पास चुनावी राज्य बिहार में बड़ी संख्या में रोजगार देने का मौका है तो राज्य के लोग जानना चाहते हैं कि बिहार के लोगों के लिएअपने विभाग के जरिए कितना कुछ किया है और बिहार को आपने क्या दिया है? इस सवाल के जवाब में जीतन राम मांझी ने कहा, “जब इस विभाग का प्रभार मिला या प्रारंभ में लिफाफे में जो विभाग बांटा गया था तो मैं भी नहीं जानता था कि एमएसएमई क्या है. यह दुर्भाग्य है हम लोगों का कि इतना बड़ा विभाग और जीतन मांझी ऐसे आदमी हैं जो 44 साल राजनीति में रह गए और एमएसएमई का नाम नहीं जानता था यह. दूसरी बात जब प्रधानमंत्री जी को नमन करने जा रहे थे तो हमारे दिल में इच्छा थी कि मैंने पूछा कि महोदय मुझे कौन सा विभाग दे गिया गया.”
‘पीएम मोदी ने अपने विजन का विभाग दिया’
जीतन राम मांझी ने कहा, “लगता है मेरी मनोदशा पीएम मोदी ने पढ़ ली और उन्होंने कहा मांझी जी मैंने आपको अपने विजन का विभाग दिया है तब मुझे लगा कि सचमुच में कोई अच्छा विभाग है और आज जब इसमें कार्य कर रहा हूं तो अच्छा लगता है कि सचमुच में बहुत अच्छा विभाग है. इसका जो शाब्दिक अर्थ होता है कि माइक्रो और स्मॉल ये दो और उसके बाद मीडियम तीन विभाग को मिलाकर के MSME विभाग कहा जाता है. मीडियम की बात छोड़ दीजिए जो सूक्ष्म है और लघु है यह दोनों विभाग ऐसे हैं जिसमें मैं भी मानता हूं और मेरा सौभाग्य है और भारत का सौभाग्य है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ऐसे विजनरी आदमी मिले हैं जिन्हें देश की चिंता है. पीएम मोदी को सड़कों पर बैठकर हजामत बनाने वाले की भी फिक्र है और उसकी भी जो सड़क पर बैठकर चप्पल सिलता है.”
क्या बोले जीतन राम मांझी?
जीतन राम मांझी ने कहा, “ट्रेड के बारे में किसी को कोई चिंता नहीं थी, उस चिंता को उन्होंने लेकर के एक कार्यक्रम बनाया और आज कहते हुए हमको ऐसा लग रहा है कि 2023 में 17 सितंबर को इस तरह का कार्यक्रम लॉन्च किया गया था. 5 साल के लिए इसको लॉन्च किया गया है और टारगेट दिया गया है कि 30 लाख लोगों को हम इसमें रोजगार देंगे तो आज तक दो वर्ष समाप्त होने जा रहे हैं और हम कह सकते हैं कि थोड़ी कमी है. 6 लाख कम से कम प्रति साल आगे बढ़ना चाहिए था, अभी 12 लाख लोगों को देना चाहिए था लेकिन हम अभी मात्र चार या 5 लाख को दिया है. इसमें कोई वैसी कमी नहीं मानता हूं इसको इसलिए कि बातें होती है उसको आगे बढ़ाने में दिक्कत होती है. अब बहुत फास्ट बढ़ रहे हैं और हमको उम्मीद है कि 2028 तक 30 लाख लोगों को हम जरूर रोजगार देंगे. जब बिहार की बात आप कहते हैं तो इसका हिस्सा जो है प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना का उसमें बिहार को भी मिलेगा और मैं यह भी कहना चाहता हूं जैसा पहले मैंने कहा कि एक टेक्नोलॉजी सेंटर होता है. टेक्नोलॉजी सेंटर को अभी हमने भुवनेश्वर में देखा, हैदराबाद में देखा. वहां पर ऐसी टेक्नोलॉजी उसमें है जिसमें मिसाइल बनाया जा रहा है, ऐसी टेक्नोलॉजी है कि स्पेस में लोग जाते हैं.
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