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Jharkhand: घर में घुसा बाघ, परिवार वालों ने बड़ी मुश्किल से ऐसे बचाई अपनी जान, पहुंची वन विभाग की टीम

by Sanjay Kumar Srivastava
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बाघ की सूचना पर घर के बाहर ग्रामीणों की भीड़ इकट्ठा हो गई. बाघ को पकड़ने के लिए वन विभाग की टीम के साथ-साथ रांची के बिरसा जैविक उद्यान की टीम भी मौके पर पहुंची थी.

Ranchi: रांची के सिल्ली ब्लाक के मारदू गांव में बुधवार को उस समय दहशत फैल गई जब एक बाघ ग्रामीण के घर में घुस गया. घटना सुबह करीब पांच बजे की है. गांव निवासी पुरेंद्र महतो अपनी बकरी को बाहर निकाल रहे थे. उसी दौरान उनकी नजर घर में घुसे बाघ पर पड़ी. बगैर शोरगुल किए पुरेंद्र महतो चुपके से सावधानी बरतते हुए घर से बाहर निकल गए. उन्होंने अपनी बेटी सोनिका और उसकी सहेली को भी सुरक्षित बाहर निकालकर धीरे से दरवाजा बाहर से बंद कर दिया, जिससे बाघ घर के भीतर ही कैद हो गया. उधर, बाघ की सूचना पर घर के बाहर ग्रामीणों की भीड़ इकट्ठा हो गई.

वन विभाग की टीम ने पकड़ा बाघ

बाघ को पकड़ने के लिए वन विभाग की टीम के साथ-साथ रांची के बिरसा जैविक उद्यान की टीम भी मौके पर पहुंची थी. इसके अलावा पलामू टाइगर रिजर्व से भी विशेषज्ञों की टीम को बुलाया गया था. बताया जा रहा है कि यह वही बाघ हो सकता है जो हाल ही में पलामू के जंगलों से भटक कर यहां पहुंचा हो. वन विभाग की टीम ने बाघ को गुरुवार सुबह पलामू टाइगर रिजर्व (पीटीआर) के बाड़े में छोड़ दिया. वन अधिकारी ने बताया कि शुरुआत में माना जा रहा था कि यह पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल से आया है, लेकिन बाद में पता चला कि बाघ पलामू टाइगर रिजर्व का है.

पहली बार देखा गया था पलामू किले के पास

पीटीआर के फील्ड डायरेक्टर एस आर नटेश ने पीटीआई-भाषा को बताया कि हमने बाघ को गुरुवार सुबह करीब आठ बजे निगरानी के लिए सॉफ्ट रिलीज सेंटर भेज दिया. बाघ को पहली बार अक्टूबर 2023 में पलामू किले के पास देखा गया था. अधिकारियों ने कहा कि बाद में इसे जंगल में छोड़ दिया जाएगा. पीटीआर के उप निदेशक प्रजेश जेना ने कहा कि चूंकि इसे पहली बार पलामू किले के पास देखा गया था, इसलिए हमने इसकी पहचान के लिए इसका नाम किला रखा. यह इलाका मुरी पुलिस चौकी के अंतर्गत आता है और पश्चिम बंगाल की सीमा के करीब है. पीटीआर और वन विभाग की संयुक्त बचाव टीम ने 13 घंटे के ऑपरेशन के बाद बाघ को पकड़ लिया.

भटककर पहुंचा गांव में

जेना ने कहा कि रांची में प्राथमिक स्वास्थ्य जांच के बाद बाघ को सावधानीपूर्वक नौ घंटे की यात्रा करके पीटीआर ले जाया गया. उन्होंने कहा कि बाघ को छोड़ने से पहले गुरुवार की सुबह पशु चिकित्सकों की एक टीम ने फिर से उसके स्वास्थ्य की जांच की. जेना ने कहा कि पिछले दो वर्षों में यह चतरा, हजारीबाग, पलामू और गुमला के जंगलों में घूम चुका है. इसने कभी किसी इंसान को नुकसान नहीं पहुंचाया. करीब छह महीने पहले यह खूंटी पहुंचा और भटक कर पूर्वी सिंहभूम जिले के दलमा वन्यजीव अभयारण्य में पहुंच गया, लेकिन अपने घर का रास्ता नहीं खोज सका. बाघ दलमा और पश्चिम बंगाल के बीच घूम रहा था.

घट रही बाघों की संख्या

कहा कि हाल ही में इसे खूंटी में देखा गया, जो घर लौटने की कोशिश कर रहा था. जेना ने कहा कि इस प्रक्रिया में यह रांची के सिल्ली में एक घर में घुस गया. जेना ने कहा कि पीटीआर में वर्तमान में पांच बाघ हैं. 2023 अखिल भारतीय बाघ अनुमान (एआईटीई) रिपोर्ट के अनुसार रिजर्व में एक बाघ है. झारखंड के पूर्व प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) प्रदीप कुमार की 2016 में प्रकाशित पुस्तक ‘मैं बाघ हूं’ के अनुसार, बाघों की कुल संख्या 1995 में 1,2002 में 34, 2010 में 10 और 2014 में 3 रह गई. वन्यजीव विशेषज्ञ बाघों की जनसंख्या वृद्धि में प्रमुख बाधाओं के रूप में मानवीय हस्तक्षेप, घरेलू मवेशियों और शिकार की घटती संख्या का हवाला देते हैं.

ये भी पढ़ेंः झरिया के रहवासियों को मोदी सरकार की सौगातः मास्टर प्लान को मंजूरी, प्रभावित परिवारों का होगा पुनर्वास

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