Home Regional किस राज्य में Ola, Uber और Rapido की बाइक टैक्सी हुईं बैन? लोगों ने गुस्से में लिखा CM को लेटर

किस राज्य में Ola, Uber और Rapido की बाइक टैक्सी हुईं बैन? लोगों ने गुस्से में लिखा CM को लेटर

by Vikas Kumar
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Bike Taxi Ban

कर्नाटक में बाइक टैक्सी पर लगे प्रतिबंध के बाद लोग भड़के हुए हैं. बाइक टैक्सी वेलफेयर एसोसिएशन ने सीएम सिद्धारमैया को पत्र लिख दिया है.

Karnataka: कर्नाटक में बाइक टैक्सी पर प्रतिबंध के विरोध में बाइक टैक्सी वेलफेयर एसोसिएशन के सदस्यों ने रविवार को भूख हड़ताल की. बाइक टैक्सी वेलफेयर एसोसिएशन ने मांग की है कि राज्य में बाइक टैक्सी पर लगाया प्रतिबंध तत्काल प्रभाव से हटाया जाए और इस संबंध में एक नीति भी बनाई जाए. एसोसिएशन ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को एक पत्र भी लिखा है. एसोसिएशन के अनुसार, बेंगलुरु, मैसूर, मांड्या, दावणगेरे और रामनगर में विरोध प्रदर्शन हुए, जिसमें कई बाइक टैक्सी सवारों ने भाग लिया. बता दें कि 16 जून को कर्नाटक में ऐप-आधारित बाइक टैक्सी सेवाओं को निलंबित कर दिया गया था, जब कर्नाटक उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार द्वारा मोटर वाहन अधिनियम के तहत प्रासंगिक दिशा-निर्देशों को अधिसूचित किए जाने तक ऐसे परिचालन को निलंबित करने के पहले के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था. उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने 13 जून को एकल न्यायाधीश द्वारा दिए गए 2 अप्रैल के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था, जिसमें बाइक टैक्सी ऑपरेटरों को छह सप्ताह के भीतर सेवाएं बंद करने का निर्देश दिया गया था. बाद में इस समयसीमा को बढ़ाकर 15 जून कर दिया गया.

पत्र में सीएम सिद्धारमैया से क्या मांग की गई?

मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में एसोसिएशन ने कहा, “सर, हम जो कर्नाटक की सेवा के लिए बारिश और धूप में यात्रा करते हैं, यह पत्र गुस्से में नहीं बल्कि हताशा में लिख रहे हैं. हममें से कई लोगों के लिए, यह काम ही गरिमा और अभाव के बीच खड़ा है.” एसोसिएशन ने कहा कि कई लोग बिना काम या विकल्प के रह गए हैं, जिससे उन्हें अत्यधिक कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है. कुछ सदस्यों को अपने परिवारों का पेट पालने के लिए सड़कों पर भीख मांगने के लिए मजबूर होना पड़ा है. उन्होंने कहा, “अगर हमारी आवाज को नजरअंदाज किया जाता रहा तो हम अब अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर जाने की तैयारी कर रहे हैं. यह विरोध के कारण नहीं है, बल्कि सरासर लाचारी है – उम्मीद है कि बहुत देर होने से पहले कोई हमारी बात सुनेगा.” एसोसिएशन ने कहा कि लगभग 80 प्रतिशत सवार स्थानीय कन्नड़ हैं, जो मामूली पृष्ठभूमि से हैं.

भावुक अपील की गई

मुख्यमंत्री से मांग करते हुए कहा, “हम छात्र, अकेली मां, गृहिणी और पूर्व प्रवासी श्रमिक हैं जो काम करने और सार्थक योगदान देने के लिए अपने गृह राज्य में लौट आए हैं. इस काम से मिलने वाले लचीलेपन ने लाखों लोगों को सशक्त बनाया है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां आजीविका के अन्य विकल्प सीमित हैं.” एसोसिएशन ने अपने पेशे के साथ असमान व्यवहार पर भी निराशा व्यक्त की. उन्होंने कहा कि दोपहिया वाहनों को सफेद नंबर प्लेट के नीचे भोजन और पार्सल डिलीवरी की अनुमति है, लेकिन समान वाहनों पर यात्रियों को सवारी कराने वालों को दंड और उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है.

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