Home Religious जब मन बन जाए युद्धभूमि, तो ‘गीता’ ही है सबसे बड़ा शस्त्र; जानिए मानसिक शांति के वो 5 श्लोक जो बदल सकते हैं आपकी जिंदगी

जब मन बन जाए युद्धभूमि, तो ‘गीता’ ही है सबसे बड़ा शस्त्र; जानिए मानसिक शांति के वो 5 श्लोक जो बदल सकते हैं आपकी जिंदगी

by Jiya Kaushik
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Geeta Shlok: अब वक्त है, रोज 1 श्लोक से शुरुआत करें. क्योंकि, जब मन टूटे, तो ‘गीता’ ही सबसे मजबूत सहारा है.

Geeta Shlok: तेज रफ्तार जिंदगी, लगातार बजते नोटिफिकेशन, करियर की होड़, रिश्तों में उलझन और भीतर पलती बेचैनी आज का हर इंसान कहीं न कहीं तनाव, गुस्से और अस्थिरता से जूझ रहा है. नींद कम, शांति गायब, और गुस्सा हर मोड़ पर रिसने लगा है.

ऐसे में सवाल उठता है, क्या मानसिक स्वास्थ्य का समाधान सिर्फ ऐप्स और दवाएं हैं? नहीं.
एक हजारों साल पुरानी पुस्तक है, जो आज भी सबसे सटीक जवाब देती है, भगवद गीता.

यह सिर्फ एक धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि मानसिक चिकित्सा (Mental Therapy) का मार्गदर्शक है. जब अर्जुन जैसे योद्धा टूट जाते हैं, तो श्रीकृष्ण का ज्ञान उन्हें नई चेतना देता है. आज वही श्लोक Gen Z, ऑफिस वर्कर, स्टूडेंट और थक चुके प्रोफेशनल्स के लिए इलाज बन सकते हैं.

गीता के 5 श्लोक जो बन सकते हैं मानसिक स्वास्थ्य की कुंजी

मन का मित्र या शत्रु कौन? (गीता 6.5)

“उद्धरेदात्मनात्मानं नात्मानमवसादयेत्…”
भावार्थ: इंसान स्वयं अपना मित्र है और स्वयं ही शत्रु. मन यदि नियंत्रित है तो यह उद्धार करता है, नहीं तो पतन का कारण बनता है.
उपयोग:
• रोज 5 मिनट “मैं क्या चाहता हूं?” पर आत्मसंवाद
• ‘सोऽहम्’ ध्यान अभ्यास

क्रोध की जड़ को समझिए (गीता 2.62–63)

“संगात्सञ्जायते कामः, कामात्क्रोधोऽभिजायते…”
भावार्थ: आसक्ति से कामना, कामना से क्रोध, क्रोध से भ्रम और अंत में बुद्धि का नाश होता है.
उपयोग:
• गुस्से के वक्त 21 बार ‘ॐ शान्तिः’ का जाप
• यह दोहराएं: “मैं प्रतिक्रिया नहीं, उत्तर दूंगा”

दुख-सुख सब क्षणिक है (गीता 2.14)

“मात्रास्पर्शास्तु कौन्तेय…”
भावार्थ: सुख-दुख, ठंड-गर्मी सब अस्थायी हैं। इन्हें सहना ही मानसिक स्थिरता है.
उपयोग:
• “यह भी बीत जाएगा” नोट अपने फोन या डेस्क पर चिपकाएं
• चिंता आने पर यह सवाल: “क्या ये अनुभव स्थायी है?”

मन भटके तो ध्यान में लौटें (गीता 6.26)

“यतो यतो निश्चरति मनश्चञ्चलमस्थिरम्…”
भावार्थ: जब मन चंचल हो जाए, तो उसे आत्मा में लौटाना चाहिए.
उपयोग:
• हर 3 घंटे में ‘Look Within Pause’ करें
• 5 मिनट नासिकाग्र (नाक की नोक) पर ध्यान लगाएं

कर्म में दक्षता ही योग है (गीता 2.50)

“योगः कर्मसु कौशलम्”
भावार्थ: जो अपने काम में कुशलता और समर्पण रखे, वही सच्चा योगी है.
उपयोग:
• छोटे कार्यों में भी पूरी उपस्थित‍ता
• सेवा और सृजन में अशांति को विसर्जित करें

वैदिक के साथ व्यवहारिक उपाय भी जानिए

• हर सप्ताह 1 दिन डिजिटल मौन व्रत (No Social Media Day)
• सुबह तुलसी पत्र या गंगाजल का सेवन – आंतरिक शुद्धि
• त्राटक ध्यान (दीपक की लौ पर ध्यान केंद्रित) – फोकस बढ़ाने के लिए

गीता है आज की सबसे प्रासंगिक किताब

तनाव बाहर का युद्ध नहीं, मन का संग्राम है. गीता बताती है कि जीत पहले मन के भीतर होती है. जब भीतर का तूफान शांत हो जाए, तब बाहर की हर चुनौती साधारण लगने लगती है. जिन्हें लगता है गीता पुरानी बात है, उन्हें शायद ‘मौन’ की शक्ति फिर से जानने की जरूरत है.

यह भी पढ़ें: सावन से पहले निपटा लें ये 5 काम, वरना करनी पड़ेगी लंबी प्रतीक्षा; शिवभक्ति के माह में वर्जित हैं ये कार्य!

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