Home RegionalOdisha भगवान जगन्नाथ की ‘बहुदा यात्रा’ की ‘पहांडी रस्म’ शुरू, पूर्व CM ने दी श्रद्धालुओं को शुभकामनाएं

भगवान जगन्नाथ की ‘बहुदा यात्रा’ की ‘पहांडी रस्म’ शुरू, पूर्व CM ने दी श्रद्धालुओं को शुभकामनाएं

by Sachin Kumar
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Lord Jagannath Bahuda Yatra ceremonial Pahandi ritual

Lord Jagannath Bahuda Yatra : पहांडी अनुष्ठान से पहले मंदिर के गर्भगृह से देवताओं के बाहर आने से पहले मंगला आरती और मैलम जैसे कई पारंपरिक अनुष्ठान किए गए.

Lord Jagannath Bahuda Yatra : ओडिशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ (Lord Jagannath) की ‘बहुदा यात्रा’ या वापसी को औपचारिक पहांडी अनुष्ठान शुरू हो गया है. इस दौरान मूर्तियों को श्री गुंडिचा मंदिर (Sri Gundicha Temple) से सारधाबली में खड़े रथों तक औपचारिक जुलूस में ले जाया जा रहा है. हालांकि, पहांडी रस्म दोपहर करीब 12 बजे से शुरू होने वाली थी, लेकिन इसको करीब 10:30 बजे से शुरू कर दिया गया. आपको बताते चलें कि इस दौरान त्रिदेवों- भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ को एक-एक करके रथों तक ले जाया गया. त्रिदेवों को भव्य रथ विराजमान करके 12वीं शताब्दी के मंदिर तक खीचेंगे, जो करीब 2.6 किलोमीटर की दूरी है. इस खास मौके पर ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी और विधानसभा में विपक्ष के नेता नवीन पटनायक (Naveen Patnaik) पर लोगों को शुभकामनाएं दीं.

चक्रराज सुदर्शन को गुंडिचा मंदिर बाहर लेकर आए

मुख्यमंत्री माझी ने अपने एक्स हैंडल पर एक पोस्ट की और उसमें लिखा कि बहुदा यात्रा (Bahuda Yatra) के शुभ अवसर पर प्रदेश के सभी लोगों को शुभकामनाएं. भगवान की कृपा से सभी का जीवन सुख, शांति और समृद्धि से भरा रहे. आपको बताते चलें कि घंटियों, शंखों और झांझों की ध्वनि के बीच चक्रराज सुदर्शन को सबसे पहले श्री गुंडिचा मंदिर से बाहर निकाला गया और देवी सुभद्रा के दर्पदलन रथ पर बैठाया गया. वहीं, पंडित सूर्यनारायण रथशर्मा ने बाताय कि श्री सुदर्शन भगवान विष्णु का चक्रधारी अस्त्र है, जिनकी पूचा पुरी में भगवान जगन्नाथ के रूप में की जाती है. श्री सुदर्शन के बाद भगवान जगन्नाथ के बड़े भाई बलभद्र आए. इसके अलावा भगवान जगन्नाथ की बहन देवी सुभद्रा के सेवकों द्वारा सूर्य पहांडी नामक जुलुस के साथ उनके दर्पदलन रथ पर लाया जा रहा था. साथ ही आखिर में भगवान जगन्नाथ को उनके रथ नंदीघोष पर लाया जाएगा.

देवताओं की जाएगी मंगला आरती

वहीं, पहांडी अनुष्ठान से पहले मंदिर के गर्भगृह से देवताओं के बाहर आने से पहले मंगला आरती और मैलम जैसे कई पारंपरिक अनुष्ठान किए गए. देवताओं के रथों पर विराजमान होने के बाद परंपरा के मुताबिक दोपहर करीब 2.30 बजे से 3.30 बजे के बीच गजपति दिव्यसिंह देब द्वारा ‘छेरा पहनरा’ (रथों की सफाई) अनुष्ठान किया जाएगा. इसके बाद 4 बजे रथों को खींचा जाएगा. हालांकि, एक अधिकारी ने कहा कि यह अनुष्ठान तय समय से पहले भी किया जा सकता है. इसी बीच भगवान जगन्नाथ और उनके भाई-बहनों की वार्षिक बहुदा यात्रा देखने के लिए पुरी में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी है. यह उत्सव 29 जून को गुंडिचा मंदिर के पास हुई भगदड़ की पृष्ठभूमि में अभूतपूर्व सुरक्षा व्यवस्था को देखते हुए कार्यक्रम आयोजित किया गया है.

यह भी पढ़ें- ‘माओ का पुनर्जन्म ढूंढो, दलाई लामा को नहीं’; चीन पर तिब्बत की निर्वासित सरकार का तीखा वार

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