Home Education IIT बॉम्बे के रिसर्चर्स ने ढूंढा फॉर्मूला, अब सर्दियों में गर्म रहेंगे हिमालय के उत्तरी इलाकों के घर

IIT बॉम्बे के रिसर्चर्स ने ढूंढा फॉर्मूला, अब सर्दियों में गर्म रहेंगे हिमालय के उत्तरी इलाकों के घर

by Vikas Kumar
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IIT Bombay

IIT बॉम्बे के रिसर्चर्स ने सूरज की किरणों से हीट को स्टोर करके हिमालय के उत्तरी इलाकों के घरों को गर्म रखने का फॉर्मूला खोज निकाला हैय

IIT बॉम्बे के रिसर्चर्स ने एक ऐसी टेक्निक खोज निकाली है जिसकी मदद से सर्दियों में भी हिमालय के उत्तरी इलाकों के घरों को गर्म रखा जा सकता है. न्यूज एजेंसी PTI के मुताबिक, एक ऐसा प्रोटोटाइप विकसित किया गया है जो गर्मियों के दौरान सूरज की किरणों से हीट को स्टोर करेगा और फिर इस हीट का इस्तेमाल सर्दियों में घरों को गर्म रखने के लिए किया जा सकेगा. बता दें कि सर्दियों के दौरान हिमालय के उत्तरी इलाकों के घरों में टेंपरेटर माइनस में चला जाता है और लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. मिली जानकारी के मुताबिक, प्रोटोटाइप को स्ट्रोंटियम ब्रोमाइड का उपयोग करके विकसित किया गया , जो एक नमक यौगिक है जो सौर ऊष्मा को संग्रहीत करता है और सर्दियों में इसे छोड़ता है. यह डीजल हीटर और जलाऊ लकड़ी के लिए एक स्वच्छ, धुआं रहित विकल्प प्रदान करता है, जिस पर कई हिमालयी समुदाय अभी भी निर्भर हैं.

क्या बोले डॉ. रुद्रदीप मजूमदार?

आईआईटी बॉम्बे में पोस्टडॉक्टरल फेलो के रूप में इस परियोजना पर काम करने वाले डॉ. रुद्रदीप मजूमदार ने कहा कि समुदायों को सर्दियों में संधारणीय हीटिंग विकल्पों तक पहुंच बनाने में मदद करने के लिए लगभग 500 किलोवाट-घंटे ऊर्जा संग्रहीत करने में सक्षम एक मॉड्यूल डिजाइन किया गया था. पूरे सेटअप में एक सरल, मॉड्यूलर इकाई शामिल है जिसे परिवहन और संचालन में आसान बनाने के लिए डिजाइन किया गया है. संस्थान ने कहा कि इसमें सौर तापीय संग्राहक शामिल हैं जो गर्मियों के दौरान हवा को गर्म करते हैं, स्ट्रोंटियम ब्रोमाइड नमक से भरा एक रिएक्टर कक्ष और निर्जलीकरण और पुनर्जलीकरण चक्रों को ट्रिगर करने के लिए एक छोटा वायु परिसंचरण तंत्र है. इसमें कहा गया है कि रिएक्टर घटकों को हिमालयी परिस्थितियों के लिए डिजाइन की गई एक कॉम्पैक्ट, मौसमरोधी इकाई में रखा गया है और ग्लास वूल का उपयोग करके इन्सुलेट किया गया है.

‘समय के साथ नहीं होती खराब’

डॉ. रुद्रदीप मजूमदार ने कहा, “सौर संग्राहक अच्छी तरह से सिद्ध हैं. स्टील टैंक सदियों से बनाए जा रहे हैं. एकमात्र नया योगदान थर्मोकेमिकल सामग्री को स्थिर करना और दैनिक जीवन के लिए इसे पैक करना है. इस तरह का दीर्घकालिक मौसमी भंडारण संभव है क्योंकि सामग्री में संग्रहीत ऊर्जा बहुत स्थिर है. यह समय के साथ खराब नहीं होती है,” अध्ययन का नेतृत्व करने वाले IIT बॉम्बे के शोधकर्ता डॉ. संदीप कुमार साहा के अनुसार, प्रत्येक भंडारण मॉड्यूल लगभग दो LPG सिलेंडर के आकार का है और पोर्टेबल होने के लिए डिजाइन किया गया है.

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