Home International भारत के सेना प्रमुख पहुंचे भूटान, दोनों देशों के बीच रक्षा संबंधों में आएगी मजबूती, डोकलाम पर चर्चा

भारत के सेना प्रमुख पहुंचे भूटान, दोनों देशों के बीच रक्षा संबंधों में आएगी मजबूती, डोकलाम पर चर्चा

by Sanjay Kumar Srivastava
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Army Chief General Upendra Dwivedi

इस यात्रा का उद्देश्य दोनों देशों के बीच स्थायी रक्षा सहयोग को और बढ़ाना है. यात्रा के दौरान सेना प्रमुख भूटान के राजा जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक से मुलाकात करेंगे.

New Delhi: सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी चार दिवसीय यात्रा पर सोमवार को भूटान पहुंचे.इस दौरान सेना प्रमुख भूटान के साथ रक्षा संबंधों को और मजबूत करने पर बात करेंगे. साथ ही रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण डोकलाम पठार के आसपास बुनियादी ढांचे की मजबूती भी परखेंगे. इस यात्रा का उद्देश्य दोनों देशों के बीच स्थायी रक्षा सहयोग को और बढ़ाना है. यात्रा के दौरान सेना प्रमुख भूटान के राजा जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक से मुलाकात करेंगे. वह रॉयल भूटान आर्मी के मुख्य परिचालन अधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल बाटू शेरिंग के साथ भी चर्चा करेंगे. यह यात्रा भारत और भूटान के बीच गहरे और समय की कसौटी पर खरे उतरे संबंधों को दर्शाती है. एक करीबी और विश्वसनीय साझेदार के प्रति भारत की प्रतिबद्धता की भी पुष्टि करती है.

चीनी गतिविधियों पर भी भूटान नरेश से होगी बात

अधिकारियों ने बताया कि भूटान की राजधानी थिम्पू में जनरल द्विवेदी राजा जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक से मुलाकात करेंगे और भूटान के सैन्य प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल बटू शेरिंग के साथ व्यापक बातचीत करेंगे. सेना प्रमुख की 30 जून से 3 जुलाई तक की भूटान यात्रा क्षेत्रीय सुरक्षा परिदृश्य में बदलाव के बीच और पाकिस्तानी क्षेत्रों में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाकर भारत के ऑपरेशन सिंदूर के सात सप्ताह बाद हो रही है. भारतीय सेना ने कहा कि दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय रक्षा सहयोग को और मजबूत करना ही इस यात्रा का उद्देश्य है. उन्होंने कहा कि यह भारत की अपने पड़ोसी के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है. उम्मीद है कि डोकलाम पठार के समग्र हालात के साथ-साथ क्षेत्र में चीनी गतिविधियों पर जनरल द्विवेदी की भूटानी वार्ता में चर्चा होगी.

डोकलाम में निर्माण का भारत ने किया था कड़ा विरोध

2017 में डोकलाम ट्राई-जंक्शन में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच 73 दिनों तक चले आमना-सामना की पृष्ठभूमि में पिछले कुछ वर्षों में भारत और भूटान के बीच रणनीतिक संबंधों में तेजी देखी गई. डोकलाम पठार भारत के रणनीतिक हित के लिए एक महत्वपूर्ण क्षेत्र माना जाता है. भारत ने अपनी सुरक्षा को देखते हुए इस निर्माण का कड़ा विरोध किया था. डोकलाम पठार में भारत-चीन गतिरोध ने दोनों पड़ोसियों के बीच बड़े संघर्ष की आशंकाओं को भी जन्म दिया. भूटान ने कहा था कि यह क्षेत्र उसका है और भारत भूटान के दावे का समर्थन करता है. कई दौर की वार्ता के बाद गतिरोध सुलझा लिया गया था. भूटान चीन के साथ 400 किलोमीटर से अधिक लंबी सीमा साझा करता है और दोनों देशों ने विवाद को सुलझाने के लिए कई सीमा वार्ताएं की हैं. चीन और भूटान अपने सीमा विवाद के शीघ्र समाधान की तलाश कर रहे हैं, जिसका भारत के सुरक्षा हितों पर प्रभाव पड़ सकता है.

भूटान-चीन सीमा विवाद पर भारत की कड़ी नजर

2023 के अंत में, भूटान के तत्कालीन विदेश मंत्री टांडी दोरजी ने बीजिंग में अपने चीनी समकक्ष वांग यी के साथ वार्ता की थी. नई दिल्ली भूटान और चीन के बीच सीमा विवाद पर बातचीत पर कड़ी नजर रख रही है क्योंकि इसका नई दिल्ली के सुरक्षा हितों पर प्रभाव पड़ सकता है, खासकर डोकलाम ट्राई-जंक्शन में. अक्टूबर 2021 में, भूटान और चीन ने अपने सीमा विवाद को सुलझाने के लिए वार्ता में तेजी लाने के लिए “तीन-चरणीय रोडमैप” पर एक समझौते पर हस्ताक्षर किए. रॉयल भूटान आर्मी के चीफ ऑपरेशन ऑफिसर लेफ्टिनेंट जनरल ने फरवरी में भारत का दौरा किया था. यात्रा के दौरान उन्होंने जनरल द्विवेदी, एनएसए अजीत डोभाल, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, विदेश सचिव विक्रम मिस्री और रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह के साथ बातचीत की थी.

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