आयोग ने अनियमितताओं की जांच के सिलसिले में गिरफ्तार किया है. बाद में उन्हें कोलंबो में एक मजिस्ट्रेट की अदालत में पेश किया गया.
Colombo: श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे के साले को देश के भ्रष्टाचार निरोधक निकाय ने शुक्रवार को गिरफ्तार कर लिया. राजपक्षे के साले निशांत विक्रमसिंघा को रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार की जांच करने वाले आयोग (CIABOC) ने गिरफ्तार किया है. श्रीलंकाई एयरलाइंस के चेयरमैन के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान उन पर विमान खरीद सौदों में भ्रष्टाचार का आरोप है. आयोग ने अनियमितताओं की जांच के सिलसिले में गिरफ्तार किया है. बाद में उन्हें कोलंबो में एक मजिस्ट्रेट की अदालत में पेश किया गया.
2008 से 2015 तक श्रीलंकाई एयरलाइंस के थे चेयरमैन
श्रीलंका की पूर्व प्रथम महिला शिरंथी राजपक्षे के भाई पर 2008 से 2015 तक राष्ट्रीय एयरलाइन का नेतृत्व करते हुए देश को नुकसान पहुंचाने का आरोप है. न्यूज पोर्टल dailymirror.lk की रिपोर्ट के अनुसार, विक्रमसिंघा को 22 जनवरी, 2014 को एक उड़ान के गंतव्य में बदलाव करके सरकार को 4,512 अमेरिकी डॉलर का वित्तीय नुकसान पहुंचाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. इसके अलावा सरकार को मालदीव से आए 75 यात्रियों को विमान से उतार दिए जाने के कारण 19,160 अमेरिकी डॉलर का नुकसान हुआ, जो 26 जनवरी, 2014 को फ्रांस जाने वाले थे.
सरकारी धन के दुरुपयोग का भी आरोप
आयोग ने आरोप लगाया कि विक्रमसिंघा ने 2015 में पूर्व राष्ट्रपति के चुनाव अभियान गतिविधियों के लिए सरकारी धन का दुरुपयोग किया था. श्री लंका में राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके प्रशासन द्वारा पूर्व राजपक्षे सरकार पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच की जा रही है. यह गिरफ्तारी 2005 से 2015 के बीच राजपक्षे के नेतृत्व वाली सरकारों के दौरान वित्तीय कदाचार के खिलाफ शुरू किए गए व्यापक भ्रष्टाचार विरोधी अभियान का हिस्सा है. राजपक्षे परिवार के कई अन्य सदस्य और पूर्व अधिकारी भी जांच के दायरे में आ चुके हैं.
पूर्व मंत्रियों को भी सुनाई गई है सजा
इस साल की शुरुआत में राजपक्षे के बेटे योशिता राजपक्षे को संपत्ति अधिग्रहण से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों में गिरफ्तार किया गया था. इसके अलावा पूर्व मंत्रियों महिंदानंद अलुथगामगे और नलिन फर्नांडो को मई में भ्रष्टाचार के लिए दोषी ठहराया गया था. उन्हें 25 और 20 साल कैद की सजा सुनाई गई थी. राजपक्षे परिवार जिसने एक दशक से अधिक समय तक श्रीलंका में महत्वपूर्ण राजनीतिक शक्ति संभाली थी, पर भाई-भतीजावाद और सार्वजनिक धन के दुरुपयोग के कई आरोप लगे हैं.
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