मणिपुर हिंसा पर अधिकारियों ने अहम अपडेट दिया है. अधिकारियों ने बताया कि राज्य में लंबे समय से जारी हिंसा अब खत्म होने की कगार पर है.
Manipur Violence: मणिपुर में हिंसा में कमी की बात कही जा रही है. न्यूज एजेंसी PTI के मुताबिक, रविवार को अधिकारियों ने बताया कि फरवरी में राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद से मणिपुर में हिंसा में उल्लेखनीय कमी आई है. कहा गया कि मणिपुर में नागरिकों की मृत्यु और घायल होने की संख्या में भारी कमी आई है तथा मादक पदार्थों की जब्ती में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. मिली जानकारी के मुताबिक, मणिपुर पुलिस, असम राइफल्स और अन्य अर्धसैनिक बल भी मई 2023 में हिंसा भड़कने के बाद पुलिस शस्त्रागारों से लूटे गए हजारों हथियारों को बरामद करने के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं. अधिकारियों ने कहा कि अपेक्षाकृत शांति के बावजूद, सुरक्षा बलों के लिए हजारों खोए हुए हथियारों को बरामद करना और जबरन वसूली तथा छोटे-मोटे अपराधों में शामिल प्रतिबंधित घाटी-आधारित आतंकवादी समूहों की गतिविधियों से निपटना चुनौती बना हुआ है. अधिकारियों ने बताया कि कुकी लोगों के खिलाफ कथित रूप से हिंसा की साजिश रचने और घाटी में बड़े पैमाने पर हिंसा में लिप्त होने के आरोपी मैतेई संगठन अरम्बाई टेंगोल के कार्यकर्ताओं पर हाल ही में की गई कार्रवाई भी राज्य के कुछ हिस्सों में शांति की भावना लाने में मददगार रही है.
कितने लोगों की हुई मौत?
हाल ही में मणिपुर पुलिस के बर्खास्त हेड कांस्टेबल और अरंबाई टेंगोल के प्रमुख नेता असीम कानन सिंह और उनके चार साथियों को मणिपुर पुलिस और सीबीआई के संयुक्त अभियान में गिरफ्तार किया गया. असीम कानन सिंह पिछले साल मणिपुर पुलिस के अतिरिक्त अधीक्षक पर कथित हमले समेत कई मामलों में शामिल था. सिंह की गिरफ्तारी के बाद संगठन ने अपने नाम पर सड़कों पर की जाने वाली किसी भी हिंसक गतिविधि से खुद को दूर रखने की घोषणा की. बताया गया कि 13 फरवरी से शुरू हुए केंद्रीय शासन की अवधि के दौरान केवल एक विरोध-संबंधी मौत की सूचना मिली है, जबकि 3 मई, 2023 से राष्ट्रपति शासन लागू होने तक 260 मौतें दर्ज की गई हैं. चोटों की संख्या में भी उल्लेखनीय कमी आई है, पिछले चार महीनों में केवल 29 नए मामले सामने आए हैं, जबकि मई 2023 से कुल 1,776 मामले सामने आए हैं. 13 फरवरी से 26 जून तक, इस क्षेत्र में आगजनी या तोड़फोड़ की कोई घटना नहीं हुई, जबकि राष्ट्रपति शासन लागू होने से पहले इस तरह की घटनाएं 17,000 को पार कर गईं.
नशीले पदार्थों पर क्या कहा?
अधिकारियों ने बताया कि नशीले पदार्थों के दुरुपयोग के खिलाफ लड़ाई में, मणिपुर पुलिस, असम राइफल्स और अर्धसैनिक बलों ने अपने अभियान तेज कर दिए हैं, जिसके परिणामस्वरूप केंद्रीय शासन अवधि के दौरान नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (एनडीपीएस) अधिनियम के तहत 84 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. अधिकारियों ने कहा कि सुरक्षा बलों ने 24.4 किलोग्राम हेरोइन, 25.7 किलोग्राम ब्राउन शुगर, 31.8 किलोग्राम अफीम और 379 किलोग्राम से अधिक ‘गांजा’ जब्त किया है, जिससे क्षेत्र में नशीली दवाओं की समस्या को स्थिर करने में मदद मिली है. हालांकि, बरामद न किए गए हथियारों का मुद्दा सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक बड़ी चुनौती बना हुआ है.
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