राहुल गांधी ने एक हिंदी न्यूजपेपर का आर्टिकल शेयर करते हुए केंद्र सरकार पर निशाना साधा. इसके अलावा राहुल ने ‘मेक इन इंडिया’ के मुद्दे पर भी केंद्र को घेरा.
Rahul Gandhi: कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ‘मेक इन इंडिया’ का जिक्र कर एकबार फिर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है. राहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक वीडियो पोस्ट की. इस पोस्ट के कैप्शन में राहुल गांधी ने लिखा, ““मेक इन इंडिया” ने फैक्ट्री बूम का वादा किया था. तो फिर विनिर्माण रिकॉर्ड निचले स्तर पर क्यों है, युवा बेरोजगारी रिकॉर्ड ऊंचाई पर क्यों है और चीन से आयात दोगुना से भी अधिक क्यों हो गया है? पीएम मोदी ने समाधान नहीं, नारे लगाने की कला में महारत हासिल की है. 2014 से विनिर्माण हमारी अर्थव्यवस्था का 14% तक गिर गया है. नई दिल्ली के नेहरू प्लेस में, मैं शिवम और सैफ से मिला – होशियार, कुशल, वादे से भरे – फिर भी इसे पूरा करने का अवसर नहीं मिला. सच्चाई यह है: हम इकट्ठा करते हैं, हम आयात करते हैं, लेकिन हम निर्माण नहीं करते. चीन लाभ कमाता है. कोई नया विचार न होने के कारण, पीएम मोदी ने आत्मसमर्पण कर दिया है. यहां तक कि बहुप्रचारित पीएलआई योजना को भी अब चुपचाप वापस ले लिया जा रहा है. भारत को एक मौलिक बदलाव की आवश्यकता है – ऐसा बदलाव जो ईमानदार सुधारों और वित्तीय सहायता के माध्यम से लाखों उत्पादकों को सशक्त बनाए. हमें दूसरों के लिए बाजार बनना बंद करना होगा. अगर हम यहां निर्माण नहीं करेंगे, तो हम उनसे खरीदते रहेंगे जो निर्माण करते हैं. समय बीत रहा है.”
वोटर लिस्ट का क्यों किया जिक्र?
राहुल गांधी ने इसके साथ ही एक अन्य पोस्ट में वोटर लिस्ट का भी जिक्र कर दिया. राहुल ने लिखा, “वोटर लिस्ट? Machine-readable फॉर्मेट नहीं देंगे. CCTV फुटेज? कानून बदलकर छिपा दी. चुनाव की फोटो-वीडियो? अब 1 साल नहीं, 45 दिनों में ही मिटा देंगे. जिससे जवाब चाहिए था – वही सबूत मिटा रहा है. साफ दिख रहा है – मैच फिक्स है. और फिक्स किया गया चुनाव, लोकतंत्र के लिए जहर है.”
कांग्रेस ने भी साधा निशाना
कांग्रेस ने भी एक पोस्ट शेयर करके केंद्र को घेरा. कांग्रेस ने लिखा, “गाजा में तबाही और अब ईरान के खिलाफ बिना उकसावे के बढ़ते तनाव पर नई दिल्ली की चुप्पी हमारी नैतिक और कूटनीतिक परंपराओं से विचलित करने वाली विदाई को दर्शाती है. यह न केवल आवाज की हानि को दर्शाता है, बल्कि मूल्यों के समर्पण को भी दर्शाता है. अभी भी बहुत देर नहीं हुई है. भारत को स्पष्ट रूप से बोलना चाहिए, जिम्मेदारी से काम करना चाहिए और तनाव को कम करने और पश्चिम एशिया में बातचीत की वापसी को बढ़ावा देने के लिए हर उपलब्ध कूटनीतिक चैनल का उपयोग करना चाहिए. यहाँ सोनिया गांधी द्वारा “भारत की आवाज को सुनने के लिए अभी भी बहुत देर नहीं हुई है” शीर्षक से एक अंतर्दृष्टिपूर्ण कॉलम है, जिसे द हिंदू में छापा गया है.”
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