DJB Sewage Plant Case : दिल्ली के पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन को साल 2022 में प्रवर्तन निदेशालय ने गिरफ्तार किया था और बाद में कथित हवाला लेनदेन और आय से अधिक संपत्ति रखने के मामले में आरोप पत्र दाखिल किया.
DJB Sewage Plant Case : दिल्ली की राजनीति में एक बार सरगर्मियां बढ़ गई है. दिल्ली के पूर्व मंत्री और AAP नेता सत्येंद्र जैन (Satyendar Jain) को दिल्ली जल बोर्ड के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट में कथित भ्रष्टाचार से जुड़े धन शोधन मामले में पूछताछ के लिए गुरुवार को प्रवर्तन निदेशालय (ED) के समक्ष पेश किया गया. ED ने बताया कि 60 वर्षीय जैन सुबह करीब 11 बजकर 15 मिनट पर जांच एजेंसी के कार्यालय पहुंचे और धन शोधन रोकथाम अधिनियम (PMLA) के तहत उनका बयान दर्ज किया गया. केजरीवाल सरकार में सत्येंद्र जैन स्वास्थ्य, उद्योग, बिजली, लोक निर्माण विभाग, गृह और शहरी विकास जैसे विभागों का कार्यभार संभाल चुके हैं. बता दें कि ED की तरफ से ये तीसरी धन शोधन जांच है जिसमें पूर्व मंत्री की भूमिका पर जांच की जा रही है.
सीवेज ट्रीटमेंट मामले में फंसा पेंच
दिल्ली के पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन को साल 2022 में प्रवर्तन निदेशालय ने गिरफ्तार किया था और बाद में कथित हवाला लेनदेन और आय से अधिक संपत्ति रखने के मामले में आरोप पत्र दाखिल किया. हाल ही में जांच एजेंसी ने उन्हें पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के साथ कथित कक्षा निर्माण घोटाले में मामला दर्ज किया था. लेकिन इस बार जांच एजेंसी ने पूछताछ के लिए सीवेज ट्रीटमें प्लांट के संवर्धन मामले में भ्रष्टाचार के आरोपों में की गई है. हालांकि, इस मामले में ED ने पिछले साल छापेमारी की थी और उन पर गंभीर आरोप लगाए थे. वहीं, मनी लॉन्ड्रिंग की जांच दिल्ली सरकार की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (ACB) की हैदराबाद स्थित कंपनी यूरोटेक एनवायरमेंटल प्राइवेट लिमिटेड और अन्य के खिलाफ FIR के बाद ही बढ़ी है.
बिना प्रक्रियाओं के पालन का बजट बदला
जांच एजेंसी ने पप्पनकला, निलोठी, नजफगढ़, केशोपुर, कोरोनेशन पिलर, नरेला, रोहिणी और कोंडली में 10 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) में संवर्धन को लेकर पूर्व मंत्री पर शिकंजा कसा है. ACB की माने तो चार टेंडरों में केवल तीन संयुक्त उद्यम कंपनियों ने भी भाग लिया है. 1943 करोड़ रुपये की 4 निविदाएं भी संस्थाओं को प्रदान की गई है. ED के अनुसार, निविदा की शर्तों को प्रतिबंधात्मक बनाया गया था, जिसमें IFAS तकनीक को अपनाना शामिल था. निविदा दस्तावेजों के सत्यापन से पता चलता है कि चार निविदाओं की प्रारंभिक लागत 1,546 करोड़ रुपये थी, जिसे उचित का प्रक्रियाओं का पालन किए बिना 1,943 करोड़ रुपये कर दिया गया. एजेंसी ने दावा किया कि तीन संयुक्त उद्यमों को बढ़ी हुई दरों पर ठेके दिए गए, जिसकी वजह से राजस्व को काफी नुकसान हुआ है.
यह भी पढ़ें- ‘डोकलाम और गलवान भूलकर चीन के लिए लाल कार्पेट बिछाया’, मोदी सरकार पर बरसे खड़गे