Ramayana Katha: अपनी शक्ति और अहंकार के लिए प्रसिद्ध रावण, क्यों नहीं छू सका सीता माता को? रंभा और नलकुबेर के श्राप से जुड़ी है ये गूढ़ कहानी.
Ramayana Katha: रामायण की कथा में रावण द्वारा माता सीता का अपहरण एक निर्णायक मोड़ है, लेकिन एक बात जो आज भी लोगों को आश्चर्य में डालती है, वह यह है कि रावण ने माता सीता को कभी स्पर्श तक क्यों नहीं किया? लंका का शक्तिशाली राजा होने के बावजूद वह ऐसा करने से क्यों डरता था? इसके पीछे छिपा है एक शक्ति से भी बड़ा श्राप, जो उसे नलकुबेर से प्राप्त हुआ था.
क्या था नलकुबेर का श्राप?
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, एक बार रावण ने अप्सरा रंभा के साथ दुर्व्यवहार किया था. रंभा, कुबेर के पुत्र नलकुबेर की पत्नी थी. जब नलकुबेर को इस घटना का पता चला, तो उसने रावण को एक भयंकर श्राप दे दिया. नलकुबेर ने रावण को श्राप दिया कि यदि वह किसी भी स्त्री को उसकी इच्छा के विरुद्ध छूने की कोशिश करेगा, तो उसका सिर तुरंत फट जाएगा. यह श्राप इतना प्रभावशाली था कि रावण जैसा घमंडी और शक्तिशाली राक्षस भी डर गया और कभी भी माता सीता को बलपूर्वक छूने का साहस नहीं कर पाया.
अशोक वाटिका में थी मां सीता, लेकिन दूर से ही करता रहा विनती
अपहरण के बाद रावण ने माता सीता को लंका के अशोक वाटिका में बंदी बनाकर रखा. उसने उन्हें बार-बार विवाह का प्रस्ताव दिया, परन्तु कभी भी उन्हें हाथ लगाने की कोशिश नहीं की. यह श्राप रावण के पूरे अहंकार पर भारी पड़ा.

यह कथा क्यों है आज भी प्रासंगिक?
यह प्रसंग आज भी नारी सम्मान का एक अत्यंत गहन और शक्तिशाली प्रतीक है. यह हमें सिखाता है कि किसी भी स्त्री की इच्छा के विरुद्ध कोई भी आचरण केवल पाप ही नहीं, विनाश का कारण बन सकता है. रामायण की यह कथा सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि मानव मूल्यों और मर्यादाओं का एक अद्भुत पाठ भी है.
रावण, जिसने देवताओं तक को परास्त किया, वह एक स्त्री को उसकी इच्छा के बिना छूने में असमर्थ था, केवल एक श्राप के कारण. यह श्राप न सिर्फ रावण के अहंकार को चुनौती देता है, बल्कि यह बताता है कि नारी की मर्यादा की रक्षा स्वयं ब्रह्मांड की शक्तियां करती हैं. रामायण की यह कथा आज भी एक गहरी सीख देती है कि शक्ति का गलत प्रयोग स्वयं विनाश का कारण बनता है.
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