UPSC New Chairman Ajay Kumar: यूपीएससी को उनका नया चेयरमैन मिल गया है. दरअसल केंद्र सरकार ने पूर्व रक्षा सचिव अजय कुमार को यूपीएससी का नया चेयरमैन बनाया गया है.
UPSC New Chairman Ajay Kumar: यूपीएससी को उनका नया चेयरमैन मिल गया है. दरअसल केंद्र सरकार ने पूर्व रक्षा सचिव अजय कुमार को यूपीएससी का नया चेयरमैन बनाया गया है. इसके लिए कार्मिक मंत्रालय की तरफ से एक आदेश भी जारी किया गया है, जिसमें बताया गया कि केंद्र सरकार के इस फैसले पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी मुहर लगा दी है.
कौन हैं UPSC के नए चेयरमैन अजय कुमार?
अजय कुमार 1985 बैच के रिटायर IAS अधिकारी हैं. वो इससे पहले लंबे वक्त तक रक्षा मंत्रालय में सचिव के पद पर भी काम कर चुके हैं. उन्होंने वहां पर रक्षा उत्पादन विभाग में सचिव का पद संभाला था. अजय कुमार ने इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव और राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र के महानिदेशक सहित कई पदों पर कार्य किया है.

बता दें कि वो 2014 में डिजिटल इंडिया पहल को लागू करने वाली टीम का हिस्सा थे जिसमें यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस, आधार, MyGov.in, गवर्नमेंट ई मार्केटप्लेस और जीवन प्रमाण शामिल थे. पूर्व रक्षा सचिव के रूप में अजयय कुमार ने आयुध निर्माणी बोर्ड के निगमीकरण में काम किया, जो 200 साल पुराना संस्थान है जिसमें 80,000 लोग काम करते हैं.
कैसे होती है UPSC के चेयरमैन की नियुक्ति?
संविधान के अनुच्छेद 316(1) के अनुसार, UPSC के अध्यक्ष और अन्य सदस्य राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किए जाते हैं. यदि अध्यक्ष का पद रिक्त हो जाता है या वह किसी कारण से अपने कर्तव्यों का पालन नहीं कर सकते, तो राष्ट्रपति आयोग के अन्य सदस्य में से किसी एक को अस्थायी अध्यक्ष नियुक्त कर सकते हैं.वहीं यूपीएससी चेयरमैन की सैलरी 2.5 लाख रुपये प्रति महीने होती है, जबकि यूपीएससी सदस्यों का वेतन 2.25 लाख रुपये प्रति महीने होती है.
UPSC के चेयरमैन के नियुक्ति की शर्तें
नियुक्ति के समय, आयोग के कम से कम आधे सदस्य ऐसे होने चाहिए जिन्होंने भारत सरकार या राज्य सरकार के तहत कम से कम दस वर्षों तक सेवा की हो. UPSC के सदस्य का कार्यकाल छह वर्षों का होता है या जब तक वह निर्धारित आयु (संघ आयोग के लिए 65 वर्ष) तक नहीं पहुंच जाते, जो भी पहले हो. उनकी सेवा की शर्तें UPSC (सदस्यों) विनियम, 1969 के अनुसार होती हैं. कार्यकाल समाप्त होने पर, कोई व्यक्ति पुनः उसी पद के लिए नियुक्ति के लिए अयोग्य होता है. नियुक्ति की प्रक्रिया में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए, सरकार अक्सर सिफारिशों के लिए चयन समिति का गठन करती है, जिसमें वरिष्ठ सरकारी अधिकारी और विशेषज्ञ शामिल होते हैं.
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